कोलकाता । पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित सारदा चिटफंड घोटाला मामले में तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष को सबसे पहले जिस वजह से गिरफ्तार किया गया था उस मामले में कोर्ट ने उन्हें आरोप मुक्त कर दिया है। विशेष एमपी एमएलए कोर्ट ने उन्हें बरी किया है। कुणाल के साथ-साथ सारदा समूह के कर्णधार सुदीप्त सेन और उनकी महिला सहयोगी देवयानी मुखर्जी को भी बरी कर दिया गया है। इसके अलावा सारदा चिटफंड कंपनी में अधिकारी रहे सोमनाथ दत्त भी आरोप मुक्त हो गए हैं। इसे लेकर गुरुवार को कुणाल घोष ने कहा कि मेरी गिरफ्तारी पूरी तरह से गैरकानूनी थी। मेरी ही पार्टी के कुछ लोगों ने मेरे खिलाफ साजिश रची। उन्होंने इशारे इशारे में तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ लोगों को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था । उल्लेखनीय है कि 2013 में सबसे पहले कोलकाता पुलिस ने कुणाल घोष को गिरफ्तार किया था। उन्हें सारदा मीडिया समूह से मोटी रकम लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जबकि कोर्ट ने कहा कि मीडिया समूह नियमों को मानकर चल रहा था और उससे मेहनताने के तौर पर वेतन लेने का अधिकार कुणाल को है।