
पुरुलिया: प्रवासी मजदूर की बेटी मम्पी दास अत्यधिक गरीबी का सामना करने के बावजूद माध्यमिक की परीक्षा में पुरुलिया जिले में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर है। उन्होंने माध्यमिक परीक्षा में जिले में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपना नाम रोशन किया है। मम्पी शारीरिक बीमारी से पीड़ित है। शरीर की कई हड्डियों में गठिया के कारण भयंकर दर्द होता है। कभी-कभी तो वह अपने हाथ से कलम भी नहीं पकड़ पाती।
दर्द कम करने के लिए उन्हें हर समय अपने पैरों और पीठ पर बेल्ट बांधना पड़ता है। इन सभी बाधाओं के बावजूद, मम्पी ने माध्यमिक विद्यालय में अपने प्रभावशाली परिणामों से प्रभावित किया है। पुंचा के नापाड़ा हाई स्कूल की 17 वर्षीय माम्पी ने 685 अंक प्राप्त कर जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
मम्पी के पिता उत्तम कुमार दास एक ऐसे परिवार में प्रवासी मजदूर के रूप में काम करते हैं, जिन्हें पर्याप्त नमक पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अपनी बेटी की शिक्षा का खर्च उठाने के लिए उनकी मां शांता दास ने गांव में बिस्कुट और चनाचूर की दुकान खोली हैं। पूरे पुरुलिया जिले को उनके जीवन की पहली बड़ी परीक्षा में गरीबी को पीछे छोड़ने में मिली उल्लेखनीय सफलता पर गर्व है।
लेकिन एक ही अफसोस है, वह सिर्फ नंबर 1 के कारण शीर्ष दस में जगह नहीं बना पाई। मम्पी ने गणित, इतिहास और भौतिक विज्ञान में 100 में से 100 अंक हासिल किए। उन्हें जीवन विज्ञान और भूगोल में 97 अंक मिले। तथा बंगाली में 96 अंक तथा अंग्रेजी में 95 अंक। मम्पी का सपना भविष्य में डॉक्टर बनने का है।
लेकिन मम्पी के माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि परिवार की गरीबी उनकी बेटी के सपनों में कितनी बाधा डाल रही है।
