17 हजार 206 लोग अयोग्य सूची में नहीं — शिक्षामंत्री ब्रात्य बसु ने आंदोलनकारी शिक्षकों से किया काम पर लौटने का आग्रह

 

कोलकाता, 22 अप्रैल ।पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसएससी आंदोलनरत शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों से अपील की कि वे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सम्मान करते हुए काम पर लौटें। उन्होंने स्पष्ट किया कि 17 हजार 206 शिक्षकों के नाम अयोग्य सूची में नहीं हैं और सरकार उनकी सेवा बहाल रखने की दिशा में लगातार काम कर रही है।

ब्रात्य बसु ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूरी तरह से इन शिक्षकों के साथ हैं। स्कूल शिक्षा विभाग हरसंभव प्रयास कर रहा है कि योग्य लोगों को न्याय मिले। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर पुनर्विचार याचिका दायर की गई है और हम कानूनी प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं।

उन्होंने आंदोलनकारियों को चेताया कि ऐसे किसी भी कदम से बचें जिससे सुप्रीम कोर्ट में दायर रिव्यू पिटिशन कमजोर पड़े। उन्होंने कहा कि सरकार आप लोगों की नौकरी और वेतन बचाने की कोशिश कर रही है, लेकिन यदि आप एसएससी चेयरमैन को घेरकर रखेंगे, जिससे वह अदालत की अवमानना के घेरे में आ जाएं, तो यह उचित नहीं है।

ब्रात्य बसु ने बताया कि 17 तारीख को माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा जो सूची सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है, उसमें 17 हजार 206 लोगों को ‘योग्य’ बताया गया है। उन्होंने कहा, “आप लोग कहते हैं कि हमें यह तय करना चाहिए कि कौन योग्य है और कौन नहीं, लेकिन हम केवल वही कह सकते हैं जो परिषद ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया है।”

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने योग्य शिक्षकों को 31 दिसंबर 2025 तक काम करने की अनुमति दी है, और सरकार उनके वेतन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदारी ले रही है। ब्रात्य ने आंदोलनकारियों से फिर अपील की कि वे स्कूलों में लौटें और न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा रखें।

मंत्री ने स्पष्ट किया कि हम हर कदम कानूनी सलाह लेकर उठा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अक्षरश: पालन किया जा रहा है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सरकार ही आपके साथ खड़ी है और आपके लिए लड़ रही है।

सोमवार रात एसएससी की ओर से जारी बयान का जिक्र करते हुए ब्रात्य बसु ने कहा था कि जिन शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट ने वैध ठहराया है, उनके वेतन में कोई अड़चन नहीं आएगी। उन्होंने यह भी जोड़ा, “जो लोग आंदोलन कर रहे हैं, उनमें से कई संभवतः अयोग्य हैं। हम सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के बिना कुछ नहीं कर सकते। हम रिव्यू पिटिशन की तैयारी में हैं और उम्मीद है कि कोर्ट ही हमें आगे का रास्ता बताएगा।”

 

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