कोलकाता ; अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन की ओर से सम्मेलन सभागार में आधुनिक व्यापारिक प्रबंधन के सूझबूझ से भरी मारवाड़ी युक्तियां पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता सुप्रसिद्ध समाजसेवी एवं उद्योगपति बनवारी लाल मित्तल थे। मित्तल ने कहां कि राजस्थान में प्राचीन काल से ही सामूहिक विकास का चलन रहा है एवं बिना किसी सरकारी सहायता के समाज बंधुओ ने पूरे देश में अपना स्थान बनाया था। समाज पूरे देश के कोने कोने मे अपने परिश्रम,औ लगन के कारण फैल गये । उन्होंने कहा कि मारवाड़ी भाषा में ऐसी ऐसी कहावतें हैं जो की आधुनिक व्यावसायिक प्रबंधन के गहरी सूझबूझ से भरी हुई है। उन्होंने कुछ कहावतें का उदाहरण प्रस्तुत किया। इन कहावतों में वाणिज्य, पूंजी, समाज, संस्कृति की गहरी झलक देखने को मिलती है उन्होंने। मित्तल ने कहा कि जब हम इन सूक्तियां का में निहित गहरे अर्थ को जब समझते हैं तो हमारे पूर्वजों के ज्ञान एवं समझ के प्रति नथमस्तक होना पड़ता है। इस विषय पर एक पुस्तक क्रैकिंग द मारवाड़ी कोड का प्रकाशन किया है । उदाहरण स्वरूप उन्होंने कुछ मुहावरे जैसे राम-राम सा, हाथी टका को, घर की जूती भी सपूत,मांग जठे दाम बठे आदि की व्याख्या की।
सर्वप्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार लोहिया ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं कहा कि हमारे पूर्वजों ने बहुत ही कठिनाई में अपना जीवन गुजारा है किंतु उस कठिनाई के मध्य भी उनकी सूझबूझ काबिले तारीफ है। इसी सूझबूझ के चलते हमारे हमारा समाज जीरो से हीरो बनकर उभरा है। हमारी कहावतों में गहरी सूझबूझ की झलक देखने को मिलती है। उन्होंने बताया कि श्री मित्तल ने इस विषय में गहरा अध्ययन किया है उसे अध्ययन के फल स्वरुप ही उनकी पुस्तक का प्रकाशन हुआ है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा एक समृद्ध भाषा है एवं विश्व की श्रेष्ठ विकसित भाषाओं में से एक है। राजस्थानी भाषा में शब्दों का अगाध भंडार है।
साथ ही साथ राजस्थान की लोक नृत्य, लोकगीत लोक साहित्य, भाषा, तीज – त्यौहार उत्कृष्ट मान के हैं जिसे पूरे विश्व में सराहा जाता है। उन्होंने कहा आवश्यकता है कि राजस्थानी भाषा की विशिष्टता की जानकारी नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाए जिससे वे लाभान्वित हो सके।
सभा का संचालन राष्ट्रीय महामंत्री कैलाशपति तोदी ने किया एवं राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष केदारनाथ गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया। सभा में दिनेश जैन,पवन गोयनका,अरुण प्रकाश मल्लावत, बंशीधर शर्मा, सज्जन खण्डेलवाल, अरुण कुमार सोनी, सुशील खेतान, साँवरमल शर्मा, राम अवतार धूत, पवन लोहिया, राज कुमार सहल, राज कुमार अग्रवाल, मोहनलाल पारीक, अरविन्द मुरारका, अमित मुंधड़ा, नारायण प्रसाद अगरवाला, नन्द किशोर अग्रवाल, सजन बेरीवाल, पवन बंसल, नंदलाल सिंघानिया, गिरिधारी लाल सराफ, केदार मल झवर, निशांत भालोटिया, राजेंद्र राजा, पवन कुमार पाटोदिया, अनिल कुमार मल्लावत, डॉ. महाबीर दारुका, राकेश अग्रवाला, निखिल पारीक, संजीव कुमार केडिया, नथमल भीमराजका, हर्ष कुमार शर्मा, महेश कुमार काबरा, सौरव पुरकायस्त, सीताराम अग्रवाल एवं अन्य गण्य मान्य व्यक्ति उपस्थित थे।