बेंगलुरु, 17 फरवरी (एजेंसी) !भारत के छोटे उपग्रह प्रक्षेपण रॉकेट (Small Satellite Launch Vehicle- SSLV) के निजीकरण की दौड़ में अडानी समूह समर्थित कंपनी अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज सहित तीन कंपनियां फाइनलिस्ट के रूप में सामने आई हैं।
सूत्रों के अनुसार अन्य दो फाइनलिस्ट कंपनियों में सरकारी उपक्रम भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) शामिल हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित एसएसएलवी एक कम लागत वाला प्रक्षेपण यान है, जो 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में स्थापित करने में सक्षम है। यह खंड वर्तमान में वैश्विक उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में सबसे अधिक मांग में है। वर्ष 2023 में इसकी पहली सफल लॉन्चिंग के बाद, सरकार ने इस वाहन के उत्पादन और तकनीक को निजी कंपनियों को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया था।
यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय अंतरिक्ष उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने और उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में देश की हिस्सेदारी बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है। वर्तमान में वैश्विक बाजार में इस क्षेत्र में स्पेसएक्स जैसी निजी कंपनियों का दबदबा है।
तीन प्रमुख दावेदार फाइनल राउंड में
एसएसएलवी के निजीकरण की दौड़ में करीब 20 कंपनियों ने अपनी रुचि दिखाई थी, लेकिन अंतिम चरण में केवल तीन कंपनियां ही जगह बना पाईं:
- अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज: इसमें अडानी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज की हिस्सेदारी है।
- भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL): एक सरकारी रक्षा उपक्रम।
- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL): सार्वजनिक क्षेत्र की अग्रणी एयरोस्पेस कंपनी।
बोलियों में वित्तीय और तकनीकी योग्यता की सख्त शर्तें
जीतने वाली कंपनी को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को एसएसएलवी के लिए लगभग 300 करोड़ रुपये ($30 मिलियन) का भुगतान करना होगा। यह राशि डिजाइन तकनीक, निर्माण प्रक्रिया, गुणवत्ता प्रशिक्षण और 24 महीने तक तकनीकी सहायता (या दो सफल लॉन्च) के लिए होगी।
भारत के लिए वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में अवसर
विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े खिलाड़ियों जैसे स्पेसएक्स की सीमित लॉन्चिंग स्लॉट उपलब्धता नए बाजार खिलाड़ियों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान कर सकती है। इसका फायदा उठाकर एसएसएलवी निर्माता दक्षिण एशिया में एक प्रमुख प्रक्षेपण भागीदार के रूप में खुद को स्थापित कर सकते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक उपग्रह प्रक्षेपण बाजार 2025 में $5.6 बिलियन से बढ़कर 2030 तक $113 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है। इसमें सबसे अधिक हिस्सेदारी निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) प्रक्षेपणों की होगी। फिलहाल, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजार में मात्र 2% हिस्सेदारी रखती है। लेकिन मोदी सरकार की योजना इस हिस्सेदारी को दशक के अंत तक पांच गुना बढ़ाकर $44 बिलियन तक पहुंचाने की है।