आरजी कर मामले में मुखरता ने तृणमूल नेता को मेडिकल काउंसिल की पोस्ट से हटवाया

कोलकाता, 23 जनवरी । तृणमूल कांग्रेस के नेता डॉ. शांतनु सेन को आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में मुखरता की भारी कीमत चुकानी पड़ी है। पहले पार्टी से निलंबित किए जाने के बाद अब उन्हें पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के सदस्य पद से भी हटा दिया गया है।

डॉ. शांतनु सेन, जो पूर्व राज्यसभा सांसद और एक मेडिकल पेशेवर हैं, को गुरुवार को राज्य सरकार के प्रतिनिधि पद से हटा दिया गया। उनकी जगह पर डॉ. असिम सरकार को नियुक्त किया गया है। यह फैसला पिछले साल दिसंबर में लिया गया था, जिसे अब लागू किया गया है।

डॉ. सेन को 10 जनवरी को तृणमूल कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था। उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। इससे पहले उन्हें पार्टी के राज्य प्रवक्ता के पद से भी हटा दिया गया था। हालांकि, पार्टी ने न तो उनके निलंबन की अवधि तय की और न ही पार्टी विरोधी गतिविधियों का स्पष्ट उल्लेख किया।

डॉ. सेन, जो आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व छात्र भी हैं, इस मामले में पार्टी के भीतर सबसे मुखर आवाज बनकर उभरे थे। उन्होंने इस मामले में विवादास्पद प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। इसी दौरान उनके और तृणमूल नेतृत्व के बीच मतभेद गहराने लगे।

डॉ. सेन और तृणमूल विधायक व मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. सुदीप्त रॉय के बीच शीत युद्ध भी खुलकर सामने आया। डॉ. रॉय के कार्यालय और नर्सिंग होम पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में छापा मारा था। इसके बाद उन्हें ईडी के साल्ट लेक स्थित कार्यालय में पूछताछ के लिए भी बुलाया गया था।

इस पूरे घटनाक्रम पर डॉ. सेन ने संक्षेप में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह निर्णय पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिया है, इसलिए वह इसे स्वीकार कर रहे हैं।

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