क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्धारा काठमांडू, नेपाल में हुआ तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव

दोनों देशों के मध्य साहित्यिक सेतु मजबूत करने का एक और प्रयास ।

काठमांडू  ; नेपाल के आनंद पशुपति भवन में नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के द्वितीय संस्करण बैसाख 16, 17, 18 तिथियों में आयोजित किया गया जिसका शुभारंभ भारत व नेपाल के राष्ट्रगान के साथ हुआ ।
समस्त भारत से साहित्यिक, सामाजिक व पत्रकारिता जगत की विभूतियों की सहभागिता रही जिनमें द्वारिका प्रसाद अग्रवाल जी बिलासपुर, विभारानी श्रीवास्तव जी पटना, प्रदीप देवीशरण भट्ट जी हैदराबाद, अनिला सिंह चाडक जी जम्मू, रमा निगम जी भोपाल, नीता चौधरी जी जमशेदपुर, राधा पांडे जी सिक्किम, मौ. नसीम अख्तर जी पटना, डा आलोक कुमार रस्तौगी जी दिल्ली, प्रभु त्रिवेदी जी इंदौर, हरेराम वाजपेयी जी इंदौर, ऐश्वर्या सिन्हा जी जौनपुर, डा मीना कुमारी परिहार जी बिहार, सावित्री मिश्रा जी उडीसा, मीरा प्रकाश जी बिहार, प्रेमलता सिंह राजपूत जी बिहार, नूतन कुमारी सिन्हा जी बिहार, कैलाश आदमी जी भोपाल, त्रिलोक फतेहपुरी जी हरियाणा, दलबीर फूल जी हरियाणा, डा राशि सिन्हा जी नवादा बिहार, रवि भूषण श्रीवास्तव जी पटना, मनीष शुक्ला जी लखनऊ, आदित्य प्रताप सिंह जी रायपुर, पर्यटन गुरु महेश भट्ट जी बनारस, गिरीश त्यागी जी बिजनौर, डा मोनिका मेहरोत्रा जी प्रयागराज, अरविंद कुमार यादव गाजीपुर से उपस्थित रहे ।

द्वितीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के संयोजक नेपाल के साहित्यकार श्री राधेश्याम जी रहे और अस्मिता सुमार्गी जी, अरूणराज सुमार्गी जी, नरेन्द्र बहादुर श्रेष्ठ जी, रेखा यादव जी, मंजिला अनिल जी, मुरारी सिग्देल जी, प्रमोद प्रधान जी, पारू तिम्मिलसेना जी का बहुमूल्य सहयोग रहा ।
नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के मुख्य अतिथि ललित कला प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति के.के. कर्माचार्य जी रहे और साहित्यिक महोत्सव की स्मारिका का विमोचन किया । उद्घाटन समारोह का संचालन कंचना झा व दिनेश डि. सी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया ।
द्वितीय सत्र में बहुभाषी कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें भारत व नेपाल के कवि कवयित्रीयों ने एक से बढ़कर एक रचनाओं का वाचन किया ..
मेरा ग़म ज़माने में शाया न होता
सितम आपने मुझ पे ढाया न होता
जो होता गवारा के मैं पास आऊँ
तो चौखट पे पहरा लगाया न होता
– मौ. नसीम अख्तर,

पिता प्राण परिवार के, घर के हैं उल्लास |
ख़ुशियाँ सबको बाँटते, चिंता रखते पास ||
— प्रभु त्रिवेदी.

दो दो पंक्तियों में बात कहां खत्म होती है।
दो और दो चार तब होती हैं,जब आंखें चार होती हैं।
इस तर्ज इस कदर उन्होनें जलवा – ए हुस्न बनाया था।
शहर की हर गली से आशिकों का हुजूम निकल आया था।
उनकी आशिकी के चर्चे भी बड़े आम थे।
क्या करें तुम खास थे और निगाह में उनकी हम आम थे।
– रमा निगम

यादों की सफर यूं चलते रहे
सपने में हम यूं ही रोज मिलते रहे।
काश: फिर मिल जाते हैं हम—-
यूं बिछड़ने का गम ना सताता हमें।
– नीता सागर चौधरी

दोस्ती में प्रेम का स्थान होना चाहिए
क्या ज़रूरी है कि कोई नाम होना चाहिए
ख़ून के रिश्ते वफ़ा ना जान पाएंगे कभी
दूर से ही इनका एहतराम होना चाहिए
– प्रदीप देवीशरण भट्ट

ये पल कुछ कह रहा है … इस पल को अपना लो,
ये जीवन महका लो ..
– मनीष शुक्ला

आंख थी मेरी समंदर दिल मेरा सहरा रहा
जिस्म का मौसम कभी भीगा कभी सूखा रहा
मिल न पाया वो जिसे हम उम्र भर ढूंढा किये
एक चेहरे पर हमेशा दूसरा चेहरा रहा
– अनिला सिंह चांडक

भारत देश का भूगोल भी तो रंग बिरंगा है
कहीं कंकर कहीं बंजर कहीं पे बहती गंगा है
पखारे चरणों को सागर हिमालय ताज है सिर का
देशवासी के हर दिल में तिरंगा ही तिरंगा है
जंग जीत चला मौत से हार गया
भारत माँ का कर्ज उतार गया
– कवि दलबीर फूल

“प्यार के मुश्किल सफ़र में
हूं अभी हर इक नज़र में”
“लोग उसकी दाद देंगे
जो गज़ल होगी बह़र में”
– डॉ मीना कुमारी परिहार बिहार’मान्या’

तृतीय सत्र में मुशायरे का आयोजन हुआ जिसका संचालन कंचना झा द्वारा किया गया और उर्दू अकादमी नेपाल में अध्यक्ष जनाब इम्तियाज वफा़, पूनम झा, करूणा झा, जनाब मोबिन साकिब हारुनी, रेखा यादव, देवी पंथी, कंचना झा, जनाब फुरकान फैजी, प्रदीप बोम्जंज, अनिला सिंह चाडक, डा मीना कुमारी परिहार, राधा पांडे, जनाब मौ. नसीम अख्तर द्वारा कलाम प्रस्तुत किए गए ।

नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन प्रातः ललितपुर नगरपालिका प्रतिनिधि द्वारा सभी भारतीय अतिथियों का स्वागत किया और पाटन के विश्व धरोहर मे शामिल दरबार स्कायर, कृष्ण मंदिर, गोल्डन टैंपल और संग्रहालय का भ्रमण कराया ।
दूसरे सत्र में शोधपत्र प्रस्तुत किए गए भारत की तरफ से श्रीगोपाल नारसन द्वारा हिन्दी का भारतीय उपमहाद्वीप और वैश्विक स्तर पर कल, आज और भविष्य पर शोधपत्र लिखा गया ।
नेपाल की तरफ से प्रमोद प्रधान द्वारा नेपाली साहित्यको अंतरराष्ट्रीयकरणको प्रश्न र अनुवादको समस्या विषय पर शोधपत्र लिखा व पढ़ा गया ।
तृतीय सत्र में नेपाल भारत संबंधमा संस्कृतिको भूमिका विषय पर परिचर्चा रही डा ऊषा ठाकुर, नीलम कार्की निहारिका व संचालन डा सावित्री मल्ल का रहा ।द्वितीय दिवस के चौथे सत्र में नेपाली साहित्यको विकास र विस्तारमा डायस्पोराको योगदान पर परिचर्चा रही परिचर्चा के संचालक गोविंद गिरी प्रेरणा और सहभागी ज्ञानु अधिकारी, ज्ञानेंद्र गुराल, दामोदर पुडासैनी रहे ।

पांचवां सत्र लघुकथा को समर्पित रहा जिसका संयोजन श्रीओम श्रेष्ठ रोदन ने किया और सहभागी विभारानी श्रीवास्तव, रवि भूषण श्रीवास्तव, मीरा प्रकाश, प्रेमलता सिंह, नूतन कुमारी सिन्हा, डा मीना कुमारी परिहार ‘मान्या’ , नीता चौधरी के साथ नेपाली लघुकथाकार भी शामिल हुए ।
परिचर्चाओं की कडी में ही साहित्य के दृष्टिकोण में महिला सशक्तिकरण विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा जिसमें विभारानी श्रीवास्तव जी, अनिला सिंह चाडक जी, डा राशि सिन्हा जी व डा मोनिका मेहरोत्रा जी सहभागी रहे और संयोजन मंजिला अनिल जी द्वारा किया गया ।
अंतरराष्ट्रीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के तीसरे दिन प्रातः साहित्यिक भ्रमण पर सभी भारतीय व नेपाल के सभी सहयोगी करीब 8200 फिट की ऊंची पहाड़ी पर स्थित ऐतिहासिक व बेहतरीन पर्यटन स्थल चंद्रागिरी पर्वत पर पहुंचे , यहां पर सात सूत्रीय काठमांडू घोषणापत्र प्रस्तुत किया गया ..
१. नेपाली और हिन्दी भाषा के लेखकों की उत्कृष्ट कृतियों को एक दूसरे की भाषा में अनुवाद कर प्रकाशित करने साथ साथ उक्त प्रयास को नेपाल और भारत की अन्य भाषाओं में भी विस्तार का प्रयास किया जाएगा ।

२. नेपाल और भारत के बीच सांस्कृतिक सम्बन्ध को साहित्य के माध्यम से प्रवर्धन कर सुदृढ बनाया जाएगा ।

३. साहित्य के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के अभियान को तीव्रता दी जाएगी ।

४. नवोदित और गुमनाम साहित्यकारों को आगे लाने हेतु अन्तर्राष्ट्रिय मन्च प्रदान किया जाएगा ।

५. साहित्यिक समारोह में नि:शुल्क आदान प्रदान के स्थान पर “किताब खरीद कर ही पढ़ें” की मान्यता को नेपाल और भारत दोनों तरफ ही प्रवर्द्धन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ।

६. प्रत्येक वर्ष नेपाल भारत साहित्य महोत्सव को आयोजित कर निरन्तरता प्रदान की जाएगी ।

७. महोत्सव के उदेश्य की प्राप्ति के लिए अन्य रचनात्मक कार्यक्रमों जैसे पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधारोपण, पर्यावरण शिक्षा का संचालन किया जाएगा ।
घोषणा पत्र तैयार करनें के लिए एक समिति बनाई गई जिसके सदस्य क्रमशः कार्यक्रम के आयोजक डा विजय पंडित, प्रदीप देवीशरण भट्ट, मनीष शुक्ला, राधा पांडे और नेपाल से अशेष मल्ल, नरेन्द्रबहादुर श्रेष्ठ, प्रमोद प्रधान, श्रीओम श्रेष्ठ रोदन, पवन आलोक, डा. शान्तिमाया गिरी, अमेरिका से गोविन्द गिरि प्रेरणा, मोनिका मेहरात्रा शामिल रहे ।

क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्धारा ‘अमृता प्रीतम स्मृति सम्मान’ निम्नलिखित साहित्यिक विभूतियों को प्रदान किया गया अनिला सिंह चाड़क – जम्मू, प्रो प्रतिभा एस बिलगी कर्नाटक, विभारानी श्रीवास्तव – पटना, मीरा प्रकाश- पटना, प्रेमलता सिंह – पटना, नूतन कुमारी सिन्हा – बिहार ,रमा निगम- भोपाल, सावित्री मिश्रा, उडीसा, डॉ मोनिका मेहरोत्रा, सरिता गर्ग – जयपुर, नीता चौधरी, जमशेदपुर, डॉ मीना कुमारी परिहार मान्या – बिहार, डॉ राशि सिन्हा – नवादा, ऐश्वर्या सिन्हा – जौनपुर , अमृता सिन्हा – पटना ।

अंतरराष्ट्रीय साहित्य श्री सम्मान से निम्नलिखित साहित्यिक विभूतियों को अलंकृत किया गया त्रिलोक फतेहपुरी- हरियाणा, श्री दलबीर फूल – हरियाणा, श्री मनीष शुक्ल लखनऊ, श्री प्रदीप देवीशरण भट्ट – हैदराबाद , मौ. नसीम अख्तर – बिहार, कैलाश श्रीवास्तव आदमी भोपाल, श्री आदित्य प्रताप सिंह- रायपुर, श्री महेश भट्ट – दिल्ली, डॉ गिरीश त्यागी – बिजनौर, श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल – छत्तीसगढ़, श्री प्रभु त्रिवेदी – इंदौर, श्री हरेराम वाजपेई – इंदौर, डॉ अलोक कुमार रस्तोगी- दिल्ली, रवि श्रीवास्तव पटना और नेपाल भारत युवा रत्न सम्मान अरविन्द यादव को प्रदान किया गया ..

काठमांडू नेपाल में आयोजित नेपाल भारत साहित्य महोत्सव में पुस्तकों का विमोचन भी किया गया जिसमें मुख्य रूप से अनिला सिंह चांडक जी की पुस्तक मास्क के पीछे क्या है , रमा निगम जी की पुस्तक बिंदास बोल , मनीष शुक्ला जी की पुस्तक व्यंग यात्री और स्वयंसेवक एक महागाथा , डॉ मोनिका मेहरोत्रा जी की पुस्तक अनोखा प्रेम और गिरीश त्यागी जी की पुस्तक पावस की प्यास शामिल रहीं ।

लेख्य मंजूषा संस्थान पटना, हिन्दी परिवार इन्दौर का साहित्यिक योगदान और पर्यटन गुरू दिल्ली का भारतीय साहित्यिक विभूतियों की नेपाल साहित्यिक यात्रा मार्गदर्शन में ख़ास योगदान रहा ,
इस वर्ष के ‘नेपाल भारत साहित्य महोत्सव’ आयोजन में नेपाल पर्यटन बोर्ड , आनंद पशुपति होटल ग्रुप, थाहा पुस्तकालय, सांस्कृतिक संस्थान नेपाल स्पांसर के रूप में शामिल हो कर सहयोग किया, इनके साथ साथ नेपाल में इस आयोजन के लिए बनाई गई आयोजन समिति के आजीवन सदस्यों, विशेष सदस्यों व अनेक साहित्यिक संस्थाओं का भी सहयोग रहा ।

नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के द्वितीय संस्करण के अंतिम सत्र समापन समारोह आयोजित किया गया जिसमें नेपाली सांस्कृतिक कार्यक्रमों एक बडी श्रृंखला रही और भारत से भी एक मात्र प्रस्तुति जमशेदपुर झारखंड की नीता चौधरी द्वारा भजन पर सेमी क्लासिकल नृत्य के साथ तीन दिवसीय आयोजन का समापन हुआ ।
समापन के साथ ही वर्ष 2022 आयोजन के लिए बनाई गई सभी समितियों को आयोजक डा विजय पंडित द्वारा भंग कर दिया गया, वर्ष 2023 में तृतीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के लिए नये सिरे से संयोजक की नियुक्ति व समितियों का गठन किया जाएगा ।

नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के आयोजक संस्थान क्रांतिधरा साहित्य अकादमी मेरठ, भारत के संस्थापक डॉ विजय पंडित ने बताया कि इस तरह के साहित्यिक आयोजन का उद्देश्य नेपाल और भारत के मध्य एक साहित्यिक सेतु का निर्माण करना है इसके साथ साथ मुख्य उद्देश्य समाज में नवोदित व गुमनाम साहित्यिक व सामाजिक प्रतिभाओं को वरिष्ठ साहित्यकारों के सान्निध्य में एक अंतरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराने के साथ साथ ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना के साथ देश दुनियां में साहित्य के माध्यम से दिलो को दिलो से जोड़ना, एक दूसरे के लेखन व शोध से रूबरू कराना, अनुवाद , प्रकाशन , विचारों के आदान प्रदान, परस्पर सहयोग की भावना , पठन – पाठन व् साहित्य के दायरे का विस्तार करना हैं ।

 

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