आज होगा वरिष्ठतम पत्रकार डंडिया का अभिनंदन:  पंजाब के राज्यपाल कटारिया बतौर मुख्य अतिथि होंगे शामिल, विधानसभा अध्यक्ष देवनानी करेंगे अध्यक्षता

मिलापचंद डंडिया के पत्रकारीय जीवन के 75 वर्ष पूर्ण होने पर हो रहा आयोजन

जयपुर (आकाश शर्मा)। राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार मिलापचंद डंडिया के पत्रकारीय जीवन के 75 वर्ष पूर्ण होने पर अभिनंदन समारोह का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम रविवार, 24 नवंबर को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, झालाना में शाम 5 बजे से होगा।
अभिनंदन समिति के संयोजक एवं वरिष्ठ पत्रकार सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा ने बताया कि समारोह में पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहेंगे, जबकि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी समारोह की अध्यक्षता करेंगे। वहीं, विशिष्ट अतिथि के तौर पर राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी शामिल होंगे।
शर्मा ने बताया कि यह ऐसे पत्रकार की सतत साधना का अमृतोत्सव है, जिस पर देश गर्व का अनुभव करता है। जिनकी कलम में ईमानदारी की स्याही रही, कर्मठता का लेखन रहा और आमजन को न्याय दिलाने की भावना रही।
समारोह में डंडिया के व्यक्तित्व और कर्तृत्व पर आधारित अभिनंदन ग्रंथ का लोकार्पण भी किया जाएगा। इस अवसर पर पद्मश्री उस्ताद अहमद हुसैन और उस्ताद मोहम्मद हुसैन बंधु सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे।

खोजपूर्ण पत्रकारिता के सूत्रधार हैं डंडिया
अपनी तथ्यपूर्ण रिपोर्टिंग से राष्ट्रीय स्तर पर छाप छोड़ चुके और राजस्थान में खोजपूर्ण पत्रकारिता के सूत्रधार मिलापचंद डंडिया का जन्म 31 अक्टूबर, 1931 को जयपुर में हुआ। 17 वर्ष की उम्र में उनकी पत्रकारीय यात्रा शुरू हुई। उन्होंने प्रदेश और देश के विभिन्न अखबारों के लिए रिपोर्टिंग की। इलेक्ट्रोनिक मीडिया में भी उनका लंबा अनुभव रहा। 1980 के दशक में उनकी अनेक खोजपूर्ण रिपोर्ट राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनीं। राजस्थान के रसूखदार परिवार में नवजात बच्चियों को मारे जाने, हैदराबाद के निजाम की अकूत संपत्ति का मामला, सत्ता से हटने के बावजूद सार्वजनिक संपत्ति के दुरुपयोग, पुरातात्विक धरोहरों पर अवैध कब्जे जैसे विषयों को डंडिया ने प्रखरता से उठाया और कार्रवाई के लिए सरकारों को बाध्य किया। डंडिया की पैनी कलम ने मुख्य सचिव तक को बर्खास्त करवा दिया। यह देश में अपनी तरह की पहली घटना थी। डंडिया की पुस्तकें ‘मुखौटों के पीछे’, ‘चेहरों का सच’, ‘जैन पुरातत्व के विध्वंस की कहानी’, ‘माटी बन गई चंदन’ आदि काफी चर्चित हुईं।

 

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