कोलकाता, 28 अगस्त । पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर 2021 की तरह गरमा गई है। उस समय, मुचिपाड़ा इलाके में तृणमूल और बीजेपी के बीच विवाद के चलते पुलिस ने लात मारकर दरवाजा तोड़ते हुए बीजेपी नेता सजल घोष को गिरफ्तार किया था। तीन साल बाद, उसी तरह की घटना दोहराई गई है। बुधवार को पुलिस ने बीजेपी पार्षद सजल घोष को उनके घर से हिरासत में ले लिया।
दरअसल आज बीजेपी ने बंगाल में बंद का आह्वान किया था। इसी बीच, सजल घोष ने देखा कि कुछ स्थानीय दुकानें खुली हुई थीं। उन्होंने दुकानदारों से उन्हें बंद करने का अनुरोध किया। इसी दौरान, कुछ स्थानीय निवासी, जिन्हें बीजेपी कार्यकर्ता तृणमूल समर्थक बता रहे हैं, दुकानों को बंद करने का विरोध करने लगे। इसके बाद, सजल घोष के सामने दोनों पक्षों के बीच हाथापाई शुरू हो गई। घटना के बाद सजल घोष अपने घर लौट गए।
उनके घर को भारी पुलिस बल ने घेर लिया। वहीं, सजल घोष के समर्थकों, विशेषकर महिलाओं ने उनके घर के गेट की पहरेदारी की। डीसी सेंट्रल इंदिरा मुखोपाध्याय भी घटनास्थल पर पहुंचीं।
आज सुबह, सजल घोष जब इलाके का दौरा कर रहे थे, तो उन्होंने दुकानदारों से कहा, दादा, आज बंद है। एक अन्य व्यक्ति को यह कहते सुना गया, अगर बाकी दिन अच्छे से निकालने हैं तो एक दिन कष्ट करना होगा। इसके बाद सजल एक मिठाई की दुकान में गए और कहा, यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं है, यह लड़ाई सबकी है।
इसी बीच, अचानक तृणमूल के कुछ समर्थक वहां पहुंच गए और पूछने लगे, बंद किसके लिए? उन्होंने कहा, कोई बंद नहीं होगा। इसके बाद स्थिति धीरे-धीरे गर्म हो गई। सजल घोष के सामने ही तृणमूल और बीजेपी समर्थकों के बीच झड़प शुरू हो गई। दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की होने लगी और तृणमूल समर्थक झंडे लेकर इलाके में आ गए।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। इसी दौरान, बीजेपी नेता तापस राय भी मौके पर पहुंच गए। हालांकि, सजल घोष की पत्नी ने कहा, पुलिस यह नहीं बता सकी कि किस आरोप में सजल को गिरफ्तार किया गया है।
इस घटना से पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है और पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
