Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ahscw237zdpo/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
दिल्ली की निर्भया से कोलकाता की अभया तक, 12 साल बाद भी क्यों नहीं रुक रही हैवानियत? - Kolkata Saransh News

दिल्ली की निर्भया से कोलकाता की अभया तक, 12 साल बाद भी क्यों नहीं रुक रही हैवानियत?

नई दिल्ली, 23 अगस्त । आज से लगभग 12 साल पहले दिल्ली की निर्भया के साथ हुई दरिंदगी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। उस घटना के बाद बहुत कुछ बदला। सरकारें बदलीं, कानून बदला, टेक्नोलॉजी बदली, देश हर मोर्चे पर और आगे बढ़ा, इस विकास में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी, साल बदला, जगह बदली – यदि कुछ नहीं बदला तो वह है देश की बेटियों के साथ होने वाली दरिंदगी और महिलाओं को लेकर पुरुष प्रधान भारतीय समाज की सोच।

एक बार फिर पूरा देश सदमे में है, आक्रोशित है, प्रदर्शन कर रहा है – फर्क बस इतना है कि इस बार दिल्ली की जगह कोलकाता है और निर्भया की जगह एक और बहादुर बेटी अभया है।

निर्भया के गुनहगारों को आठ साल बाद फांसी की सजा मिली। ऐसा माना जा रहा था कि इस सजा के बाद देश में ऐसी घटना दोबारा देखने को नहीं मिलेगी। लेकिन घटनाएं तो हर रोज हो रही हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ घटनाएं ज्यादा विभत्स होती हैं, वर्षों से सो रहा देश एक बार फिर जाग जाता है, कुछ दिन मीडिया और समाज की चेतना में मामला गरम रहता है, और फिर – पुनर्मूषिको भव।

कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या के बाद सवाल उठा है कि निर्भया कांड के बाद रेप के लिए कानून कड़े करने के बाद भी अपराधियों के मन में ऐसे अपराध करने से पहले डर क्यों नहीं पैदा होता है, ऐसी हैवानियत क्यों नहीं थमती है?

काउंसिल इंडिया की काउंसिलिंग साइकोलॉजिस्ट और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ निशि का कहना है कि कानून बदलना अपनी जगह है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है। समाज की सोच बदलना, जहां हमेशा महिलाओं को हेय दृष्टि से देखा जाता है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि साल 2012 में महिलाओं के खिलाफ 2,44,270 अपराध दर्ज कराये गये थे जिनमें 24,923 रेप के मामले थे। घटना के एक दशक बाद ऐसी घटनाओं में कमी आने की बजाय उल्टा ये तेजी से बढ़ी हैं। एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में महिलाओं के खिलाफ 4,45,256 अपराध दर्ज किए गए, जिनमें रेप की 31,516 घटनाएं हुई हैं।

निशि ने बताया कि जहां तक निर्भया कांड की बात है तो सिर्फ उसी केस में आरोपियों को फांसी की सजा दी गई। ऐसे और कई केस सामने आए, जिसमें दोषियों को सजा नहीं मिली या उस तरह की सजा नहीं मिली। उन्होंने समाज की सोच को बदलने की वकालत की है। कहा है कि कानून से ज्यादा प्रभावी होगा बढ़ती उम्र में लड़कों के मन में लड़कियों के लिए सम्मान पैदा करना। इसमें परिवार और समाज की अहम भूमिका हो सकती है।

उन्होंने कहा, “किसी भी इंसान के मानसिक विकास में उसके पारिवारिक माहौल का बड़ा योगदान होता है। वह किस माहौल में रह रहा है, फ्रेंड सर्कल कैसा है। उदाहरण के तौर पर बचपन में अगर कोई लड़का अपनी बहन या फिर महिला मित्र को मार रहा है, तो अगर उसी समय उसको रोक दिया जाए और बता दिया जाए कि आप लड़की पर हाथ नहीं उठा सकते, तो लड़के के मन में डर होता है और एक रिस्पेक्ट भी पैदा होती है। इस छोटे प्रयास का असर बाद में दिखता है। अगर बचपन से उन्हें रोका नहीं जाए तो धीरे-धीरे उनके मन से डर खत्म हो जाता है।”

उनका कहना है कि मेल डोमिनेंट सोसायटी में बच्चा घर में ही ऐसी चीजों को देखता है कि परिवार के अन्य सदस्य मां के साथ सही तरीके से व्यवहार नहीं कर रहे। इसका भी असर पड़ता है। फिल्मों का भी समाज पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा “हाल ही में कबीर सिंह और एनीमल जैसी मूवी आई थी, जिनमें महिलाओं के लिए रिस्पेक्ट नहीं था, उन पर हाथ भी उठाया गया था। मानसिक विकास किस दिशा में हो रहा है, बॉलीवुड भी इसमें बड़ी भूमिका निभाता है।”

निशि ने स्कूल में सेक्स एजुकेशन की भी वकालत की ताकि लड़के शारीरिक अंतर के बावजूद लड़कियों को अपने बराबर मान-सम्मान दें। उन्होंने कहा, “स्कूलों में सेक्स एजुकेशन पढ़ाया जाना चाहिए। इस पर जो टैबू बना हुआ है, उसको खत्म करना चाहिए। बच्चों को बताना चाहिए कि लड़का और लड़की में सिर्फ शरीर की बनावट का अंतर है, महिला किसी दूसरी दुनिया से नहीं आई है।”

उन्होंने कोलकाता की अभया के अपराधियों को जल्द और कड़ी सजा देने की जरूरत पर भी जोर दिया।

मीडिया में इन घटनाओं की कवरेज से पड़ने वाले असर के बारे में पूछे जाने पर निशि ने कहा, “मेरा मानना है कि मीडिया में ऐसी घटनाओं को प्रमुखता से उठाना चाहिए। एक ह्यूमन साइकोलॉजी है कि अगर कोई काम छुपा कर हो रहा है और वही मीडिया में आ जाता है, तो इंसान का दिमाग इसको करने से रोकता है। जो लोग अपराध करने वाले हैं, वो रुक सकते हैं।”

आईएएनएस

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *