वामपंथी श्रमिक संगठन सीटु की तरफ से आठ सूत्री मांगों के समर्थन में प्रतिवाद दिवस का पालन किया गया

रानीगंज। रानीगंज।वामपंथी श्रमिक संगठन सीटु की तरफ से आठ सूत्री मांगों के समर्थन में आज रानीगंज रेलवे स्टेशन के समीप प्रतिवाद दिवस का पालन किया गया यहां पर रानीगंज के पूर्व विधायक रुनु दत्ता हेमंत प्रभाकर दिव्येंदु मुखर्जी सुप्रियो राय मलय कांति मंडल सहित संगठन के तमाम कार्यकर्ता उपस्थित थे यहां पर नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार के आर्थिक नीतियों की जमकर आलोचना की इस बारे में पत्रकारों से बात करते हुए दिव्येंदु मुखर्जी ने कहा कि भले ही आज केंद्र में भाजपा अपने दम पर बहुमत में नहीं है लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार द्वारा जो आर्थिक नीतियां अपनाई जा रही हैं उसे श्रमिक वर्ग पर बहुत ज्यादा बोझ पढ़ रहा है उन्होंने कहा कि ऐसी नीति अपनाई जा रही है जिससे श्रमिकों के ट्रेड यूनियन करने के अधिकारों को छीना जा रहा है महंगाई बढ़ रही है बेरोजगार लोगों की संख्या बढ़ रही है रोजगार के नाम पर अग्नि वीर जैसे परियोजनाएं चलाई जा रही हैं जिससे अस्थाई रोजगार बन रहा है लेकिन स्थाई रोजगार का कोई प्रावधान नहीं है राष्ट्रीय संसाधनों को बेचा जा रहा है स्मार्ट मीटर के नाम पर बिजली महंगी की जा रही है उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों ही जगह पर भाजपा और टीएमसी द्वारा बिजली कंपनी दवा कंपनियों से इलेक्टोरल बॉन्ड में पैसे लिए गए थे जिस वजह से आज दवा बिजली सब चीजों की कीमत बढ़ रही है। उन्होंने नई पेंशन नीति को रद्द करके पुरानी पेंशन नीति फिर से लागू करने की मांग की उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार दोनों सरकारों की नीतियां ही जनता विरोधी हैं और यह कुछ पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई है उन्होंने कहा कि आज सीटु की तरफ से पूरे देश के साथ-साथ रानीगंज में भी इन मांगों के समर्थन में प्रतिवाद दिवस का पालन किया जा रहा है वही हेमंत प्रभाकर ने भी केंद्र राज्य दोनों सरकारों की कड़ी आलोचना की उन्होंने कहा कि आज भले ही केंद्र में मोदी सरकार की बजाय एनडीए सरकार चल रही है लेकिन नीतियां वही है पहले की ही तरह जनता को लूटा जा रहा है और कुछ पूंजीपतियों की जेबें भरी जा रही हैं। उन्होंने साफ कहा कि बिजली दवाई महंगी हो गई है क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम पर उनके मालिकों से पैसे लिए गए थे जिस वजह से आज यह सारी चीज महंगी हो गई है बेरोजगारी चरम पर है लेकिन इसके बावजूद केंद्र या राज्य सरकार को कोई परवाह नहीं है

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