जीएसटी कर संग्रह में वृद्धि के लिए कैट ने निर्मला सीतारमण की सराहना की

 

चार वर्षों में 28 % वृद्धि को 50 % से अधिक किया जा सकता था –सुभाष अग्रवाला

आसनसोल(संवाददाता): कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स पश्चिम बंगाल के चेयरमैन सुभाष अग्रवाला ने रविवार कोलकाता सारांश को बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और जीएसटी परिषद को फरवरी, 2022 के महीने में लगभग 1 करोड़ 33 लाख जीएसटी कर राजस्व के संग्रह के लिए बधाई दी है जो कि वर्ष 2017 में जब जीएसटी लागू हुआ था तब से लेकर अब तक के जीएसटी संग्रह में लगभग 28% की वृद्धि है।अगस्त , 2017 के महीने में जीएसटी संग्रह 95633 लाख रुपये था, हालांकि, कैट का मानना है कि जीएसटी संग्रह में 28% की वृद्धि के स्थान पर यह वृद्धि 50% होनी चाहिए थी यदि सभी राज्य जीएसटी के कर आधार को व्यापक बनाने की कोशिश करते क्योंकि जीएसटी के दायरे में अधिक करदाताओं को जोड़ने की बड़ी संभावना है। इस कर संग्रह की राशि में यह भी स्पष्ट नहीं है कि जीएसटी संग्रह के आंकड़े सकल मूल्य या शुद्ध मूल्य के हैं। यदि यह सकल मूल्य है तो इनपुट लेनदारों को भुगतान किए जाने वाले इनपुट का पर्याप्त प्रतिशत भी कर राजस्व के अर्जित मूल्य से घटाया जाना चाहिए। देश का व्यापारिक समुदाय सरकार की विस्तारित शाखा के रूप में काम करके जीएसटी कर राजस्व को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने में सदैव तैयार है ! कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज एक संयुक्त बयान में कहा की जो भी व्यक्ति कर की चोरी करते हैं उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि कर आधार को व्यापक बनाने की संभावना जिससे केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को अधिक राजस्व प्राप्त होगा के लिए कैट और देश भर में 40 हजार से अधिक व्यापारी एसोसिएशन सरकार के साथ साझेदारी करने को तैयार हैं क्योंकि हमें लगता है कि जीएसटी राजस्व में वृद्धि सरकार को आयकर के तहत कर दरों को कम करने में सक्षम बनाएगी। दोनों व्यापारी नेताओं ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा बताए गए ‘भागीदारी शासन’ मॉडल को जीएसटी के तहत व्यावहारिक आकार देने की आवश्यकता है जिसके अंतर्गत देश के हर जिले के वरिष्ठ कर अधिकारियों और संबंधित जिले की प्रमुख व्यापारिक एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों की जिला स्तर पर एक संयुक्त समिति गठित की जाए वहीं जीएसटी काउंसिल में भी व्यापारियों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए ताकि निर्णय लेते समय व्यापारियों की राय भी शामिल हो !
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि अधिक से अधिक व्यापारियों को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि जीएसटी कर प्रणाली की जटिलताओं को वर्तमान स्थिति के संदर्भ में सरल और युक्तिसंगत बनाया जाए ! इस दृष्टि से जीएसटी क़ानून पर पुन: विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि सरकार और व्यापारियों दोनों के पास 4 साल से अधिक का जीएसटी कर प्रणाली का अनुभव है और उसके आधार पर एक बेहतर जीएसटी कर प्रणाली तैयार की जा सकती है जो व्यापारियों को जीएसटी क़ानून के स्वैच्छिक अनुपालन के लिए अधिक प्रोत्साहित करे जबकि दूसरी ओर केंद्र और राज्य सरकार दोनों कोअधिक राजस्व मिले ! वर्तमान जीएसटी में फार्मों की बहुलता, विभिन्न कर स्लैब, विभिन्न कर दरों के तहत रखे गए विभिन्न सामानों का गलत स्थापन,अधिकारियों को अत्यधिक और विवेकाधीन अधिकार, पंजीकरण रद्द करना और बैंक खातों की कुर्की, नगण्य कर राजस्व अर्जित करने वाली कई वस्तुओं को उच्च कर स्लैब के तहत रखा जाना जैसे अनेक प्रावधानों की वजह से कर ढांचे में असमानता और विकृतियां हैं ! ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए व्यापारियों को जीएसटी पंजीकरण अनिवार्य करने से छोटे व्यापारियों को ई-कॉमर्स व्यापार का लाभ लेने से वंचित किया जा रहा है । इसी तरह कई नियम हैं जिन्हें कर आधार को विकसित करने में बाधाओं के रूप में माना जाता है।
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी के तहत कर आधार को व्यापक बनाने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण है कि देश भर के व्यापारिक समुदाय को व्यापार करने में आसानी प्रदान की जाए। हाल के दिनों में सरकार ने कैट की मांग को स्वीकार करते हुए व्यापारियों को एमएसएमई श्रेणी में शामिल करने का आदेश दिया जो एक सराहनीय कदम है। अच्छा होगा कि किसी भी व्यवसायी जो किसी भी तरह की वस्तुओं की बिक्री करता है या सेवाएं प्रदान करता है को उद्यम आधार का पंजीकरण अनिवार्य किया जाए। इससे सरकार को भारत के घरेलू बाजार के आकार को सही रूप से जानने का मौका मिलेगा और उसी के अनुरूप व्यापारियों की बेहतरी के लिए अच्छी नीतियां बनाई जा सकती हैं। व्यावसायिक गतिविधियों को चलाने के लिए अनेक प्रकार के आवश्यक लाइसेंसों को स्थान पर केवल एक लाइसेंस प्रस्तावित किया जाना चाहिए। इसी तरह आंतरिक व्यापार पर लगे सभी कानूनों की समीक्षा की जानी चाहिए और जो कानून वर्तमान संदर्भ में महत्व खो चुके हैं, उन्हें समाप्त कर दिया जाना चाहिए और शेष कानूनों में समय की आवश्यकता वाले संशोधन किए जा सकते हैं। खुदरा व्यापार को भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के इंजन के रूप में बनाया जा सकता है जो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण में शानदार योगदान दे सकता है।

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