कोलकाता, 10 अप्रैल । पिछले कई सालों से पश्चिम बंगाल पुलिस की कार्यवाही राज्य सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को मुश्किल में डालती रही है। जिस तरह से संदेशखाली में ईडी अधिकारियों पर हमले के बाद हमलावरों की गिरफ्तारी के बजाय केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ ही केस दर्ज करना राज्य सरकार पर भारी पड़ा और अब सीबीआई जांच कर रही है। ठीक उसी तरह से भूपति नगर ब्लास्ट मामले के छापेमारी करने गई एनआईए की टीम पर भी हमले में पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है। खास बात ये है कि फिलहाल प्रशासन चुनाव आयोग के अधीन है बावजूद इसके राज्य पुलिस की लापरवाही और पक्षपात पर सवाल खड़े हो रहे हैं। एनआईए के अधिकारियों पर हमले के मामले में एक हफ्ते बीतने को है लेकिन पुलिस ने एक भी हमलावर को ना तो गिरफ्तार किया है ना ही पूछताछ की है। दूसरी और एनआईए अधिकारियों के खिलाफ ही जांच शुरू कर दी गई है जिन पर हमले हुए थे। उन्हें नोटिस भी दिया गया है। एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हिन्दुस्थान समाचार समाचार को बताया कि यह किसी भी राज्य में प्रशासन की कार्यशैली की सबसे खराब स्थिति है। संघीय ढांचे में राज्य और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी के बीच बेहतर तालमेल होना चाहिए। कायदे से जिस तरह से एनआईए के अधिकारियों पर हमले हुए उसमें हमलावरों को तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे लेकिन ऐसा ना करके बंगाल पुलिस ने अजीबोगरीब रवैया का परिचय दिया है। उन्होंने बताया कि आज बुधवार को हाई कोर्ट में इस मामले में सुनवाई होनी है। उम्मीद है एनआईए अधिकारियों को राहत मिलेगी और बंगाल पुलिस को फटकार भी लगने वाली है।