अरविंद केजरीवाल को हाई कोर्ट से झटका, अदालत ने गिरफ्तारी से राहत देने से किया मना

दिल्ली हाई कोर्ट से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को बड़ा झटका लगा है। अदालत नेउन्हें गिरफ्तारी से कोई अंतरिम सुरक्षा देने से इनकार कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर हम अंतरिम राहत देने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, अदालत ने इस नई अंतरिम याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जवाब मांगा है। अब इस मामले पर 22 अप्रैल, 2024 को सुनवाई होगी।

दिल्ली हाई कोर्ट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में दंडात्मक कार्रवाई यानी गिरफ्तारी से अंतरिम राहत की मांग की है।

आम आदमी पार्टी (AAP) नेता के वकील ने अनुरोध किया कि मामले को कुछ समय बाद सुना जाए, जिसके बाद जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने उनकी याचिका पर कुछ समय के लिए सुनवाई टाल दी।

कोर्ट ने पूछा-ED के सामने क्यों पेश नहीं हो रहे?

अंतरिम राहत के लिए अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का आवेदन उस याचिका का हिस्सा है, जो उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पूछताछ के लिए जारी कई सारे समन को चुनौती देने के लिए दायर की है।

केजरीवाल ने ED के नौवें समन के मद्देनजर अदालत का रुख किया है। समन में उन्हें बृहस्पतिवार को एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था।

वह समन को अवैध बताकर बार-बार एजेंसी के सामने पेश होने से इनकार करते आए हैं। अदालत ने बुधवार को केजरीवाल से पूछा था कि वह एजेंसी के सामने क्यों नहीं पेश हो रहे हैं?

केजरीवाल ने क्यों मांगी गिरफ्तारी से राहत?

इस मामले में याचिकाकर्ता केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल ED के सामने पेश होंगे, लेकिन इस मामले में दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण की जरूरत है, क्योंकि चुनाव नजदीक होने पर उन्हें (केजरीवाल को) गिरफ्तार करने की एजेंसी की मंशा साफ है।

याचिका में केजरीवाल ने कहा है कि धनशोधन रोकथाम कानून (PMLA) के तहत मनमानी प्रक्रिया को आगामी लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) में बराबर मौका नहीं देने के लिए अपनाया जा रहा है, ताकि “केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में चुनावी प्रक्रिया को मोड़ा जा सके।”

यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को तैयार करने और लागू करने में कथित भ्रष्टाचार और मनीलॉन्ड्रिंग से जुड़ा है। इस नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था। मामले में AAP नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह न्यायिक हिरासत में हैं।

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