बंगाल में इंडी गठबंधन को महत्व नहीं दे रही तृणमूल, मोदी बनाम दीदी की लड़ाई की तैयारी

 

कोलकाता, 12 मार्च । लोकसभा चुनाव की घोषणा नहीं हुई है। उसके पहले ही पश्चिम बंगाल में राजनीतिक रस्सा-कस्सी शुरू हो गई है। केंद्र की सत्ता से नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए बने विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन में भले ही सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस है, लेकिन ममता बनर्जी ने राज्य की सभी 42 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर गठबंधन को सकते में डाल दिया है। अब माकपा और कांग्रेस एक साथ मिलकर साझा उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं। इधर मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा भी राज्य में 20 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। हालांकि इनमें से एक आसनसोल सीट पर उम्मीदवार और भोजपुरी सिंगर पवन सिंह ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी अब राज्य की बाकी 23 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा करेगी। भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद इनमें बंगाल के बाहर के लोगों को टिकट दिए जाने को लेकर सवाल खड़ा किया है। इस पर तृणमूल का कहना है कि किसे टिकट दिया गया है यह मायने ही रख नहीं रखता है। हकीकत यह है कि राज्य में मोदी बनाम दीदी की लड़ाई होनी है।

तृणमूल के सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने को कहा कि राज्य में असली लड़ाई मोदी की गारंटी और दीदी की गारंटी के बीच है।‌ रॉय ने दावा किया कि बाहरी वे लोग हैं, जो बंगाल का अपमान करते हैं। तृणमूल ने पूर्व क्रिकेटर युसूफ पठान को बहरामपुर से अपना उम्मीदवार बनाया है। बहरामपुर, कांग्रेस की प्रदेश इकाई के प्रमुख और पांच बार के सांसद अधीर रंजन चौधरी का गढ़ है। वहीं 2022 में आसनसोल सीट पर हुए उपचुनाव में तृणमूल के टिकट पर जीत हासिल करने वाले अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी ने फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है। हालांकि अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान शत्रुघ्न सिन्हा ने संसद में एक बार भी नहीं बोला। ना ही लिखित तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई ना मौखिक तौर पर। वहीं पूर्व क्रिकेटर और पार्टी नेता कीर्ति आजाद को बर्धमान-दुर्गापुर से उम्मीदवार घोषित किया गया है। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। रॉय ने ने कहा, ”देश में कोई भी अन्य राजनीतिक दल किसी भी राज्य के उम्मीदवारों की पूरी सूची की घोषणा नहीं कर पाया है।”
रॉय ने कहा, ”कृष्णा मेनन और बी आर आंबेडकर, दोनों ने बंगाल से चुनाव लड़ा था। हमने उन्हें कभी बाहरी नहीं माना। बाहरी वे हैं, जो बंगाल का अपमान करते हैं। बाहरी वे हैं, जो बंगाल पर कब्जा करने की बात करते हैं, जो राज्य को वंचित करते हैं और धनबल व जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके सत्ता पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं।” इंडी गठबंधन के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब में उन्होंने कहा कि बात किसी गठबंधन की नहीं है। मोदी और दीदी के बीच की लड़ाई है और वही लड़ी जाएगी।

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