बराकर । गृहस्थ धर्म का पालन निष्ठापूर्वक करने से घर मे नर रत्न जन्म लेते है । जिनमें संत सुधारक देवांस महापुरुष आदि होते है । राजा दशरथ ने निष्ठा पूर्वक गृहस्थ धर्म का पालन किया । उन्होंने पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ किया । जिससे पूरा वातावरण दिव्य बन गया और पवित्र आत्मा का अवतरण हुआ । उन्होंने कहा की इसके ही परिणाम स्वरूप राजा दशरथ के घर भगवान श्री राम लक्ष्मण भारत शत्रुघ्न चारो भाईयो का जन्म हुआ । उक्त बातें बराकर शहर के वार्ड नंबर 68 स्थित गायत्री शक्तिपीठ में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं संस्कार महोत्सव को लेकर बीते देर शाम शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे टोली नायक संदीप पाण्डेय ने श्रीमद प्रज्ञापुराण कथा के प्रवचन के दौरान कहा । उन्होंने आगे कहा की मनुष्य के जीवन पर संस्कारों का प्रभाव पड़ता है । इसलिए जब शिशु माता के गर्भ मे रहता है तो गर्भाधान संस्कार होता है तथा जन्म के बाद अन्न परासन संस्कार मुंडन संस्कार , विद्यारंभ संस्कार सहित अन्य संस्कार करवाना चाहिए । उन्होंने कहा की शिक्षा से बुद्धि बढ़ता है और विद्या से विवेक बढ़ता है । इसलिए सभी छात्र छात्राओं का विद्यारंभ संस्कार होना आवश्यक है । उन्होंने कहा की अभी के समय में बच्चो मे ब्यवहारिक आचरण का अभाव हो गया है । उन्होंने कहा की युवावस्था मे ऋषियों के अनुसार यज्ञोपवीत तथा गुरु दीक्षा होना चाहिए । जिससे जीवन मे बुराइयों से बचा जा सके । क्योंकि गुरु ही श्रेष्ठ मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते है तथा गुरु ही अज्ञानता के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश जलाते है । गुरु मनुष्य के जीवन मे एक मूर्तिकार की तरह है । जो हमे विभिन्न तरह के अवगुनो को दूर करके हमे स्वच्छ निर्मल तथा सुंदर ज्ञानवान बलवान बनाते है ।क्योंकि गृहस्थ जीवन एक तपोवन है । इसके पश्चात उन्होंने श्रीमद प्रज्ञा पुराण की कई महत्वपूर्ण बातों को उपस्थित सैकडो श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया ।
