बराकर ! इस्लाम मजहब के आखरी पैगंबर मोहम्मद साहब को इस्लाम धर्म का मार्गदर्शक माना जाता है. जिसकी वजह से उनके यौम ए पैदाइश का दिन मुसलमानों के लिए खास होता है. इस दिन को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी कहा जाता है.
इस पवन अवसर पर बराकर के मनबढ़िया, जमाली मुहल्ला, बलतोरिया, करीमडंगाल आदि जगहों के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जश्न- ए- मिलादुन्नबी यानी पैगम्बर मोहम्मद साहब की जयंती पूरे श्रद्धा के साथ मनाई. इस उपलक्ष्य में शांतिपूर्वक भव्य जुलूस निकाला गया और समाज के बीच पैगंबर मोहम्मद साहब की अमन और प्रेम के सन्देश का प्रसार किया गया. साथ ही देश में अमन शांति बनी रहे, इसके लिए मस्जिदों में दुआएं की गई। इस दौरन वार्ड नंबर 67 की पार्षद टुम्पा चौधरी जुलूस में शामिल होकर सभी को मिठाई खिलाकर नबी दिवस की बधाई व शुभकामनाये दी. उन्होंने कहा कि मोहम्मद साहब के आने के बाद पुरे विश्व में महिलाओं को सम्मान मिला. उन्होंने कहा कि दुनिया के निर्माण और मार्गदर्शन में पैगंबर मुहम्मद साहब का बहुत बड़ा योगदान रहा है. इसी मुबारक दिन में अल्लाह ने पैगंबर मुहमम्द साहब को दुनिया को जाहिलियत के अंधेरे से बाहर निकालने के लिए भेजा था. जिनके नूर से आज दोनों जहाँ रौशन है.
मौके पर बराकर मुस्लिम welfare society के सदर अली हुसैन उर्फ मुन्ना, वरिष्ठ समाजसेवी अब्दुल बारी, टीएमसी वार्ड 67 के अध्यक्ष तब्बू अंसारी, फखरुद्दीन अंसारी, सोनू अंसारी, इजाज अंसारी, समीम अंसारी, जसीम अंसारी उपस्थित थे.
पैगंबर मुहम्मद साहब का यौम ए पैदाइश सऊदी अरब के मक्का शहर में 571 ईसवी को हुआ था. यह दिन इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, तीसरी रबी उल अव्वल महीने का 12वां दिन था. इस दिन को खुशियों की तरह मनाते हैं, इसलिए इस पर्व को ‘ईदों की ईद’ कहा जाता है. मुस्लिम बहुल देशों में तो इस दिन राष्ट्रीय अवकाश में होता है.