सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है : आचार्य मृदुलकांत शास्त्री, पूर्वांचल कल्याण आश्रम की श्री शिव महापुराण कथा संपन्न

 

कोलकाता । अगर अब भी हमने अपने जीवन में परिवर्तन नहीं किया तो कब करेंगे । निरंहकारी रहना, हनुमान जी से सीखिए । यह सबसे बड़ा गुण है । हनुमानजी में विद्या बहुत है, बल बहुत है, ज्ञान के सागर हैं। लेकिन सब कुछ होने के बाद भी हनुमान जी सदैव अपने प्रभु के चरणों में बैठे मिलेंगे, हमेशा हाथ जोड़े मिलेंगे । बड़ा होने पर भी छोटा बनकर रहना बड़ा कठिन है और यही गुण यहां कल्याण आश्रम में देखने को मिलता है। सब एक दूसरे को आगे बढ़ाते हैं। ‘ यह उद्गार परम पूज्य पंडित मृदुल कांत जी शास्त्री ने ‘द स्टेडल बैंक्वेट, साल्टलेक’ में पूर्वांचल कल्याण आश्रम, कोलकाता-हावड़ा महानगर की ओर से पुरुलिया में प्रस्तावित महाविद्यालय छात्रावास के निर्माणार्थ आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा को विश्राम देते हुए व्यक्त किए । महाराजश्री आश्रम के सेवकों की अनुशासित सेवा-भावना की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि सेवा और धर्म में कोई भेद नहीं है। आप धर्म की रक्षा के लिए ही तो सेवा कर रहे हैं। श्रवण तो पहली भक्ति है लेकिन सेवा नौवीं भक्ति है। यह सबसे ऊंची सीढ़ी है क्यूंकि सेवा से बड़ा कोई धर्म है ही नहीं।
शास्त्री जी नें कहा कि जो कार्यकर्ता फील्ड में हैं उनकी सहायता अगर हमलोग नहीं करेंगे तो वे लोग टूट जायेंगे, बिखर जायेंगे। वनवासियों को जोड़ने का कार्य तो वो कर रहे हैं, हमें तो बैठे-बैठे बस थोड़ा सा सहयोग करना है। पूर्वांचल कल्याण आश्रम द्वारा पुरूलिया में छात्रावास के लिए आयोजित इस कथा के सन्दर्भ में शास्त्री जी नें अनुरोध किया कि हम सभी इतनी उदारता के साथ सहयोग करें कि इससे ना सिर्फ एक छात्रावास की परिकल्पना ही साकार हो, बल्कि दो-चार छात्रावासों का निर्माण हो जाए और इस कथा का महत्त उद्देश्य पूरा हो।
आज कथा प्रारंभ से पूर्व कथा प्रारम्भ से पूर्व ओम प्रकाश, मंजू बांगड़, मंजू मोदी,सीमा मोदी, ज्योति बूबना, अरुण कुमार चौधरी, शशि चौधरी, अतुल जोग, महादेव गोराई, विश्वमित्रो महतो, सुरेश मिश्रा, अमल भद्रो ,महेश मोदी, सत्यगोपाल राय, बलराम सांतरा ने व्यास पीठ को नमन कर महाराजश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। गीत शिवपुर हावड़ा समिति की महिलाओं ने गाया एवम् संचालन श्री मती रंजना त्रिपाठी ने किया।

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