कोलकाता, 22 जुलाई । शहीद दिवस के मंच से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजा अभिषेक बनर्जी की ओर से राज्य भर के भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों के घेराव के आह्वान की निंदा एसोसिएशन फॉर प्रोटक्शन आफ डेमोक्रेटिक राइट (एपीडीआर) ने की है। संगठन के राज्य महासचिव रंजीत सुर जो मुख्य रूप से वामपंथी विचारधारा के हैं, ने कहां है कि यह जर्मनी में हिटलर शाही के दौरान किया गया था और अब शासक दल होने के बाद ममता बनर्जी की पार्टी की ओर से किया जा रहा है। शनिवार को हिन्दुस्थान समाचार को दिए अपने बयान में उन्होंने कहा, ” हम कल 21 जुलाई के मंच से तृणमूल कांग्रेस पार्टी के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भाषण के अंश का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। अभिषेक बनर्जी ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे सभी भाजपा कार्यकर्ताओं की सूची बनाएं और पांच अगस्त को आठ घंटे के लिए उनके घरों को घेर लें ताकि वे बाहर न आ सकें। ममता ने कहा कि घेराव 100 मीटर दूर करें। यानी सूची बनाने या घर घेरने में उनकी भी सहमति है।
हमारी पहली आपत्ति सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस द्वारा भाजपा की गतिविधियों को सूचीबद्ध करने को लेकर है। सत्तारूढ़ दल की इस सूची ने हमें हिटलर के समय में जर्मनी में यहूदियों की सूची बनाने की याद दिला दी। इस तरह भिन्न राजनीतिक विचारधारा वाले कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना और उनके परिवार सहित उनके आवास को घेरना गंभीर मामला है। यह कार्यक्रम अत्यंत अलोकतांत्रिक, मानवता विरोधी एवं खतरनाक है। हम राज्य की सत्ताधारी पार्टी को इस कार्यक्रम से दूर रहने की सलाह देते हैं।
दूसरे, भविष्य में इस कार्यक्रम को उदाहरण के तौर पर दिखाकर इसी तरह से सूची बनाकर पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया जा सकता है। परिणामस्वरूप पूरे राज्य में गृह युद्ध की स्थिति निर्मित हो जायेगी।
हमारा मानना है कि सत्तारूढ़ दल को अधिक जिम्मेदार और उदार होना चाहिए। इसलिए, तृणमूल को किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं की सूची नहीं बनानी चाहिए और घर घेरने का कार्यक्रम रद्द करना चाहिए। यह एक फासीवादी कार्यक्रम है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी जिम्मेदार भूमिका निभाते हुए इस कार्यक्रम को रद्द करने की पहल करनी चाहिए।
साथ ही हमारा मानना है कि केंद्र सरकार को राज्य को मिलने वाले 100 दिन के काम के पैसे का तुरंत भुगतान करना चाहिए। 100 दिन के भ्रष्टाचारियों को गिरफ्तार कर सजा दी जाए। लेकिन मजदूरों को काम के बदले भुगतान नहीं करना गलत है।”
