कोलकाता : कोलकाता के मशहूर प्रेसीडेंसी जेल से एक कैदी के लापता होने को लेकर हाईकोर्ट सख्त है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि कैदी के लापता होने के संबंध में डीजीपी रैंक के अधिकारी जांच करें।
कैदी के लापता होने के संबंध में जेल प्रबंधन की ओर से हाईकोर्ट में एक रिपोर्ट सौंपी गई है। इसमें कहा गया है, ‘जेल का कैमरा ऑन है। लाइव तस्वीरें दिख रहे हैं। लेकिन वह रिकॉर्ड डिजिटल वीडियो रिकॉर्ड (डीवीआर) से एकत्र नहीं हो पा रहा है। हालांकि, कोर्ट प्रेसीडेंसी करेक्शनल अथॉरिटी की रिपोर्ट से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं था। रिपोर्ट के आधार पर, अदालत ने टिप्पणी की, कैदी को रात में क्यों छोड़ा गया ? कहाँ है वह? कोई वीडियो फुटेज नहीं। रिकॉर्ड बुक में कोई रिकॉर्ड नहीं है।”
इस संबंध में दोनों पक्षों की टिप्पणियों को सुनने के बाद अदालत ने निर्देश दिया, ”मैं पुलिस को जिम्मेदारी नहीं दूंगा, जिनका जेल पर सीधा नियंत्रण है।”
कोर्ट ने आगे कहा, ‘एडवोकेट जनरल को वो सारे दस्तावेज जमा करने होंगे। वे एक अधिकारी की नियुक्ति करेंगे जो डीजीपी रैंक का अधिकारी होगा। जांच के बाद सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट देनी होगी। मामले की अगली सुनवाई 11 फरवरी को निर्धारित की गई है। इस मामले की सुनवाई कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति टीएस शिवजापन और न्यायमूर्ति हिरणमय बनर्जी की खंडपीठ द्वारा की जा रही है।
घटना की शुरुआत 21 दिसंबर को हुई थी। अवैध शराब बेचने के आरोपी रंजीत भौमिक नाम के शख्स को उस दिन जमानत मिल गई थी। अगले दिन, 22 दिसंबर, उस व्यक्ति को लेने के लिए जब घरवाले पहुंचे तो उन्हें पता चला कि कैदी को पहले ही छोड़ दिया गया है। हालांकिवह बात आज तक घर नहीं पहुंचा है। हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश