आत्मा और परमात्मा का मिलन ही परमानंद है –माधव जी महाराज

चिरकुंडा। चिरकुंडा-पंचेत रोड के तीन नं चढ़ाई स्थित श्रीश्री राम भरोसा धाम सार्वजनिक मंदिर के प्रतिष्ठा एवं स्थापना की प्रथम वर्षगांठ पर सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन मंगलवार को वृन्दावन से आए कथावाचक माधव जी महाराज ने कहा की — आनंद अविनाशी अंतर्यामी का स्वरूप है । जगत के विषयों में जब तक मन फंसा हुआ है तब तक आनंद नहीं मिल सकेगा। आनंद आत्मा का उसी प्रकार सहज स्वरूप है कि जिस प्रकार शीतलता जल का सहज स्वरूप है । आनंद आत्मा में ही है। यदि शरीर में आनंद होता तो उसमें प्राणों के निकल जाने के बाद भी लोग उसे संजोकर अपने पास रखते।


आत्मा और परमात्मा का मिलन ही परमानंद है भगवान में मन फंसे और डूबने लगे तभी आनंद मिलता है। बार-बार अपने मन को तुम समझाओ कि संसार के जड़ पदार्थों में सुख नहीं है। सोने पर सब भूल जाने से आनंद मिलता है। सारे संसार को भूलने के बाद ही गाढ़ी नींद आती है। आत्मा तो नित्य शुद्ध और आनंद स्वरूप है। सुख दुख तो मन के धर्म है। मन के निर्विषय होने पर आनंद मिलता है। दृश्य में से दृष्टि को हटाकर दृष्टा में स्थिर किया जाए तो आनंद मिलेगा। आनंद परमात्मा का स्वरुप है। आनंद का विरोधी शब्द नहीं मिलेगा । ‘आनन्द–यह ब्रह्म स्वरूप है! जीवात्मा भी आनंदरूप है !अज्ञान के कारण जीव आनंद को ढूंढने के लिए बाहर जाता है! बाहर का आनंद लंबे समय तक नहीं टिक सकता।”
भागवत कथा को सफल बनाने में मंदिर के प्रधान पुजारी राम रतन पांडे ,आचार्य अविनाश कुमार पांडेय,एकानन्द पाण्डेय,मनोज कुमार पांडेय,सत्येंद्र कुमार पांडेय , पुरुषोत्तम पांडेय आदि जोर शोर से लगे हुए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello
Can we help you?