बंगाल सरकार से टशन के बीच राज्य के महान स्वतंत्रता सेनानियों को दरकिनार कर रहा केंद्र, बढ़ रही नाराजगी

 

कोलकाता । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार के साथ टशन की वजह से केंद्र और राज्य के बीच तो टकराव होते ही रहते हैं, अब ताजा मामला 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी दिल्ली के राजपथ पर निकाली जाने वाली झांकियों को लेकर है। इस बार पश्चिम बंगाल सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस, ऋषि अरविंद जैसे स्वतंत्रता सेनानियों पर केंद्रित झांकी प्रस्तुत करने की अनुमति मांगी थी लेकिन केंद्र ने इनकार कर दिया है। इसे लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर तो नाराजगी जताई ही है साथ ही भारतीय जनता पार्टी के अंदर खाने से भी इसके खिलाफ आवाज उठ रही है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथागत भी इस बारे में सवाल खड़ा कर चुके हैं। अब सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा बना हुआ है और लगातार केंद्र के इस कदम का विरोध लोग कर रहे हैं। राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के बीच संघीय सुचिता और शिष्टाचार को दरकिनार करने के आरोप केंद्र सरकार पर लगातार लगाए जा रहे हैं। इस बीच नेताजी के परिवार ने भी इस पर तीखी नाराजगी जाहिर की है।

नेताजी की पुत्री अनीता बोस ने भी इस पर नाराजगी जताई है। वहीं इस प्रकरण को लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

अनीता ने कहा कि ऐसे समय जब गणतंत्र दिवस समारोह मेरे पिता की 125वीं जयंती के साथ होने जा रहा है, उसमें उन पर आधारित झांकी को शामिल नहीं किया जाना अजीबोगरीब है। इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। पिछले साल कोलकाता के विभिन्न स्थानों पर नेताजी जयंती का धूमधाम से पालन किया गया था क्योंकि इसका बंगाल में होने जा रहे चुनावों से सरोकार था। इस साल कुछ नहीं हो रहा इसलिए निश्चित रूप से यह मसला पिछले साल जितना महत्वपूर्ण नहीं है।

नेताजी की 126वीं जयंती के पालन के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित की गई उच्च स्तरीय कमेटी पर अनीता ने कहा कि इस कमेटी से जुड़ने के लिए मुझसे कभी संपर्क नहीं किया गया। मैंने इस कमेटी की कभी कोई बैठक होती नहीं सुनी। मेरे लिए इस कमेटी का कोई अस्तित्व नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके पिता की विरासत का राजनीतिक कारणों से अक्सर आंशिक तौर पर शोषण होता आया है। अनिता ने केंद्र सरकार से एक बार फिर जापान के रेनकोजी मंदिर में रखे हुए अवशेषों का डीएनए टेस्ट कराने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि ऐसा होने से सच्चाई सामने आ जाएगी।

 

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