प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र, जताई आपत्ति
कोलकाता. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को “आने वाले गणतंत्र दिवस परेड के लिए पश्चिम बंगाल की प्रस्तावित झांकी की अस्वीकृति” पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और “परेड में पश्चिम बंगाल के स्वतंत्रता सेनानियों की झांकी को शामिल करने” का अनुरोध किया है. ममता ने लिखा, “आगामी गणतंत्र दिवस परेड से पश्चिम बंगाल सरकार की प्रस्तावित झांकी को अचानक बाहर करने के भारत सरकार के निर्णय से मुझे गहरा धक्का लगा है और मैं आहत हूं. यह हमारे लिए और भी चौंकाने वाली बात है कि झांकी को बिना कोई कारण या औचित्य के खारिज कर दिया गया.”
उन्होंने कहा, “प्रस्तावित झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके आईएनए के 125 वें जन्मदिन वर्ष पर उनके योगदान की स्मृति में थी और इस देश के कुछ सबसे शानदार बेटों और बेटियों के चित्र ईश्वर चंद्र विद्यासागर, रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, देशबंधु चित्तरंजन दास, श्री अरबिंदो, मातंगिनी हाजरा, नजरूल, बिरसा मुंडा और और कई देशभक्त के चित्र ले जा रहे थे.”
‘बंगाल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे था’
तृणमूल सुप्रीमो ने पत्र में लिखा, “मैं आपको बताना चाहती हूं कि केंद्र सरकार के इस रवैये से पश्चिम बंगाल के सभी लोग बहुत आहत हैं. बंगाल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे था, और देश की आजादी के लिए सबसे बड़ी कीमत देश के बंटवारे और लाखों लोगों को जड़ से उखाड़ कर चुकानी पड़ी है. यह जानकर हैरानी होती है कि इसके बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के इस योगदान को हमारी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष पर गणतंत्र के अवसर का जश्न मनाने के लिए देश के समारोह में कोई जगह नहीं मिलती है.”
गणतंत्र दिवस परेड के दौरान मौजूद रहेंगे करीब 24,000 लोग
कोविड-19 वैश्विक महामारी संबंधी हालात के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में इस साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के दौरान करीब 24,000 लोगों को उपस्थित रहने की अनुमति दी जाएगी. सूत्रों ने बताया कि देश में वैश्विक महामारी की मार पड़ने से पहले 2020 में करीब 1.25 लाख लोगों को परेड के दौरान उपस्थित रहने की अनुमति थी.
23 जनवरी से शुरू होगा गणतंत्र दिवस समारोह
एक दिन पहले शनिवार को ही सरकारी सूत्रों ने बताया कि गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत अब हर साल 24 जनवरी के बजाय 23 जनवरी को शुरू होगी ताकि स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की जयंती इसमें शामिल की जा सके. उन्होंने बताया कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के रुख के अनकूल है जो भारत के इतिहास और संस्कृति के अहम पहलुओं को मनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. उन्होंने रेखांकित किया कि इससे पहले बोस की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की गई थी.