कोलकाता, 4 मई । कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के खिलाफ विश्व भारती के नोटिस पर रोक लगा दी है। सेन ने राहत की मांग करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया था क्योंकि विश्वविद्यालय ने उन्हें छह मई तक अपने पैतृक शांतिनिकेतन निवास में 0.13 एकड़ (5,500 वर्ग फुट) जमीन खाली करने का निर्देश दिया था। विश्वविद्यालय ने कहा था कि अगर वह जमीन खाली नहीं करेंगे तो बल प्रयोग किया जाएगा।
हाईकोर्ट में जस्टिस बिभास रंजन दे की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
इसने बीरभूम जिले की एक निचली अदालत के समक्ष सुनवाई होने तक मामले में अंतरिम रोक लगा दी। सेन ने बीरभूम के सिविल कोर्ट में याचिका लगाई है जिसमें 15 मई को सुनवाई होनी है
अपनी याचिका में, अर्थशास्त्री ने तर्क दिया कि अक्टूबर 1943 में, तत्कालीन विश्व-भारती महासचिव रथींद्रनाथ टैगोर ने उनके पिता आशुतोष सेन को 99 साल के पट्टे पर 1.38 एकड़ जमीन दी थी, जिन्होंने बाद में ‘प्रतिची’ का निर्माण किया।
इधर विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि उनके पिता को जिंदा रहने तक जमीन लीज पर दी गई थी। अब अमर्त्य सेन को जमीन खाली करने चाहिए लेकिन वह जबरदस्ती कब्जा किए बैठे हैं!