आठ साल बाद पिता से मिली बेटी, हुए भावुक

देवघर डीएलएसए और सीडब्ल्यूसी की भूमिका की हो रही सराहना

परिवार आधारित देखभाल की व्यवस्था हो : प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश

एकमुश्त सहायता राशि दिलाने की अनुशंसा होगी : सीडब्ल्यूसी

 

*देवघर*। पालाजोरी ब्लॉक का मामला है।बेटी की जिंदगी बालिका गृह में कट रही थी। वह पता भी नहीं बता पा रही थी।फिर निकल गई अन्यत्र। भटकती रही। राजस्थान से बरामद हुई। लौटकर पहुंची फिर बाबा नगरी। आठ साल तक ऐसा ही चलता रहा। डीएलएसए और सीडब्ल्यूसी की पहल और कोशिश रंग लाई। आठ साल बाद बाप और बेटी का मिलन हुआ तो एक तरफ खुशी तो दूसरी ओर अश्रुधारा थी। दरअसल यह कहानी है पालोजोरी प्रखंड की बेटी पार्वती कुमारी की जो 12 वर्ष की उम्र में वर्ष 2015 में भटक गई थी जिसे प्रशासन ने बाल गृह में रखा था I बच्ची अपने घर का पता बताने में असमर्थ थी कई बार काउंसलिंग के दौरान भी कुछ भी जानकारी नहीं दे पा रही थी I वर्ष 2020 में पार्वती बालिका गृह से भाग गई, जिसे राजस्थान में प्रशासन द्वारा रेस्क्यू किया गया I वहां के सीडब्ल्यूसी के द्वारा देवघर सीडब्ल्यूसी को बच्ची पार्वती कुमारी ट्रांसफर कर दिया गया I बच्ची वापस देवघर बालगृह में रहने लगी। इस दौरान पार्वती ने काफी कुछ कला – कौशल सीखा जैसे – कढ़ाई, बुनाई, झाड़ू बनाना आदिI काफी संघर्ष के बाद डीएलएसए एवं सीडब्ल्यूसी के सहयोग से उसके पिता को खोज निकाला गया I मंगलवार को पार्वती के पिता न्यायालय के समक्ष पेश हुए I बच्ची के द्वारा अपने पिता की पहचान कराई गई I पार्वती अपने पिता से 8 साल बाद मिलकर काफी खुश हुई I बच्ची की मां बचपन में ही गुजर गई थी I परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है I कानूनी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद न्यायालय के आदेश से पार्वती को उसके पिता को सौंप दिया गया । डीएलएसए सेक्रेटरी मयंक टोपनो का इस पुनीत कार्य में पूर्ण सहयोग रहा।उन्होंने कहा कि बालिका एवं उसके परिवार को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हर तरह का आर्थिक सहयोग किया जाएगा I साथ ही बालिका एवं उसके परिवार को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने हेतु संबंधित बीडीओ एवं सीओ को पत्र प्रेषित किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी के द्वारा कहा गया कि उक्त बालिका का आफ्टर केयर के रूप में रिपोर्ट अधिकतम एक वर्ष तक लिया जाएगा और फॉलोअर प्रतिवेदन के अनुसार कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की एवं एकमुश्त सहायता राशि देने की अनुशंसा सरकार से की जाएगी । बाल गृह में जो प्रशिक्षण दिया गया है उसकी कौशल दक्षता के अनुसार उसका प्राक्कलन बनाते हुए उसको एकमुश्त सहायता राशि प्रदान की जाएगी।प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिवाकर पाण्डेय ने कहा कि बच्चों के मामलों को गंभीरता से लिया जाए तथा ऐसे बच्चों को चिह्नित कर इनकी परिवार आधारित देख-भाल तथा पुनर्वास पर कार्य की जाय।मौके पर डीएलएसए सेक्रेटरी मयंक टोपनो , सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष कौशल कुमार और सदस्य देवेंद्र पांडे, कुंडा थाना प्रभारी तथा अन्य मौजूद रहे ।

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