महिलाओं को जमीन पर रेंगने को मजबूर करने की घटना के खिलाफ जनजातिय समुदाय के बंद का मिलाजुला असर

 

कोलकाता, 17 अप्रैल । पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले में भाजपा ज्वाइन करने की सजा के तौर पर जनजातीय समुदाय की महिलाओं को जमीन पर रेंगते हुए तृणमूल दफ्तर जाने को मजबूर करने की घटना के खिलाफ सोमवार को आहूत हड़ताल का मिलाजुला असर देखने को मिला है। जनजातीय समुदाय ने वारदात के खिलाफ आज सोमवार को पूरे राज्य में 12 घंटे बंद का आह्वान किया। इसका बहुत अधिक असर कोलकाता, हावड़ा, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जैसे जिलों पर तो नहीं पड़ा है लेकिन इसके बाद उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर, पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर, पुरुलिया, बांकुड़ा, मालदा, हुगली समेत जंगलमहल के विस्तृत इलाके में जहां बड़े पैमाने पर जनजाति समुदाय के लोग हैं वहां इसका अच्छा खासा असर देखने को मिला है। सुबह से ही क्षेत्रों में बाजार दुकानें बंद हैं और वाहनों की आवाजाही ठप है।
महिलाओं के खिलाफ वारदात को लेकर पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है लेकिन आरोप है कि उनका घटना से कोई लेना-देना नहीं था और तृणमूल कांग्रेस की जिला महिला अध्यक्ष प्रदीप्ता चक्रवर्ती की गिरफ्तारी की मांग पर यह आंदोलन चल रहा है। मालदा में बंद का सबसे अधिक असर देखने को मिला है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 34 को जाम कर समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके अलावा हुगली के हरिपाल के गजर मोड़ से दानकुनी आरामबाग अहिल्याबाई रोड को जाम कर दिया गया था। चुंचुड़ा तारकेश्वर रोड भी जाम किया गया था जहां वाहनों की आवाजाही बंद रहीं। हालांकि कहीं भी टकराव अथवा हिंसक घटनाओं की सूचना नहीं मिली है। जहां-जहां विरोध प्रदर्शन और सड़क जाम किए गए हैं वहां प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने समझाने बुझाने की कोशिश की है।

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