उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने ई-कॉमर्स नियमों पर हितधारकों के साथ परामर्श का नया दौर शुरू किया
आसनसोल:- कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) पश्चिम बंगाल के चेयरमैन सुभाष अग्रवाला ने शुक्रवार कोलकाता सारांश को बताया कि केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री श्री पीयूष गोयल को भेजे गए एक पत्र में ई-कॉमर्स के लिए एक नियामक प्राधिकरण के गठन की अपनी पिछली मांग को दृढ़ता से उठाया है और सुझाव दिया है कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को यह जिम्मेदारी दी जाए ! कैट ने कहा है की मार्च, 2021 में जारी उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के दौरान, ई-कॉमर्स से संबंधित शिकायतें 22% हैं, जो बैंकिंग, दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों और कंस्यूमर ड्युरेबल्स सहित पांच वर्गों में सबसे थी ! कैट ने कहा कि दुनिया भर में ई-कॉमर्स बाजार भारत को छोड़कर एक मजबूत नियामक तंत्र द्वारा शासित है। नियामक प्राधिकरण के बिना ई-कॉमर्स नियम और विनियम ई-कॉमर्स में एक अधूरा सुधार होगा। इसलिए उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए ई-कॉमर्स के लिए एक नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाना चाहिए और व्यापारियों के लिए निर्बाध तरीके से अपनाने के लिए ई-कॉमर्स को सुलभ बनाना चाहिए।
कैट ने पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री श्री पियूष गोयल से एक मुलाकात में उपभोक्ता क़ानून के अंतर्गत ई कॉमर्स नियमों पर सभी संबंधित वर्गों के साथ एक बार दोबारा राय शुमारी करने का आग्रह किया था जिसे स्वीकार करते हुए श्री गोयल ने उपभोक्ता मंत्रालय को सलाह का एक और दौर पूरा करने का निर्देश दिया जिसको लेकर मंत्रालय ने ई-कॉमर्स नियमों पर हितधारकों के साथ परामर्श का एक और दौर शुरू कर दिया है ! कैट ने कहा कि इस तरह की कवायद निश्चित रूप से भारत में ई-बाजारों के मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी संचालन को सुनिश्चित करने के लिए मजबूत नियमों का मसौदा तैयार करने का एक और मौका देगी ताकि उपभोक्ताओं के सर्वोत्तम उत्पाद प्राप्त करने के अधिकारों की रक्षा की जा सके।कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि श्री पीयूष गोयल, श्रीमती स्मृति ईरानी और श्री हरदीप पुरी के नेतृत्व वाले मंत्रालय ही नियमित आधार पर सभी संबंधित वर्गों के साथ परामर्श करते हैं जो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “सहभागी शासन” की अवधारणा को पूरा करते हैं ! हितधारकों के परामर्श के सिद्धांत का पालन करने के लिए व्यापारिक समुदाय अभी तक अन्य संबंधित मंत्रालयों की प्रतीक्षा कर रहा है।