भाषा लोगों के दिलों को जोड़ती है ; चमू कृष्‍ण शास्‍त्री

आईआईएमसी में ‘भारत की वर्तमान भाषाई चुनौतियॉं और समाधान’ विषय पर विशेष संवाद कार्यक्रम

नई दिल्‍ली, 15 मार्च। भारतीय जन संचार संस्‍थान, नई दिल्‍ली में भारत की वर्तमान भाषाई चुनौतियॉं और समाधान विषय पर विशेष संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में प्रमुख वक्‍ता व शिक्षा मंत्रालय की भारतीय भाषा समिति के अध्‍यक्ष चमू कृष्‍ण शास्‍त्री ने कहा कि अंग्रेजों के आने से पहले भाषा कभी हमारे बीच विवाद या झगड़े का विषय नहीं थी। सच तो यह है कि भाषा लोगों के मन को जोड़ती है, उनके हृदय को जोड़ती है। यह हमें करीब लाती है। इससे व्‍यक्ति का विकास होता है, समाज का विकास होता है, राष्‍ट्र का विकास होता है।

अपने स्‍वागत संबोधन में भारतीय जनसंचार संस्‍थान के महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने कहा कि हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हमारे देश में इतनी सारी भाषाएं बोली जाती हैं। यह एक ऐसी बगिया की तरह है, जिसमें अनेक रंगों के फूल खिलते हैं और जिनकी खुशबू पूरे विश्‍व को महकाती है।

कार्यक्रम में डीन-अकादमिक प्रो. गोविंद सिंह, डीन-छात्र कल्‍याण प्रो. प्रमोद कुमार, डॉ. रचना शर्मा, प्रो. राकेश गोस्‍वामी, डॉ. रिंकू पेगू, डॉ. पवन कौंडल, डॉ. प्रतिभा शर्मा सहित संस्‍थान के विभिन्‍न संकायों के प्रमुख, अधिकारी, कर्मचारी व आईआईएमसी के विभिन्‍न केंद्रों के छात्रों ने हिस्‍सा लिया।

श्री शास्‍त्री ने कहा कि भाषा के बहुत सारे विशेषण होते हैं। लोग इनके अंतर को समझ नहीं पाते और अपने-अपने नैरेटिव गढ़ लेते हैं। इसकी वजह से उनमें विवाद या झगड़ा होता है। अगर हम इसका अध्‍ययन करें तो पाएंगे कि अंग्रेजों के भारत आने से पहले भाषा कभी भी हमारे समाज में झगड़े की वजह नहीं रही। सभी भाषाओं के बोलने वालों में एक सहअस्तित्‍व का भाव था और वे ज्ञान पाने के लिए एक-दूसरे की भाषाएं सीखने, समझने, अपनाने में कभी संकोच नहीं अनुभव करते थे।

कार्यक्रम का संचालन प्रो. प्रमोद कुमार ने किया और आभार प्रदर्शन प्रो. गोविंद सिंह द्वारा किया गया।

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