ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के जरिये कैट ने देश में अधिकारियों के लिए राष्ट्रीय जवाबदेही कानून की मांग की – सुभाष अग्रवाला

आसनसोल संवाददाता।कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष अग्रवाला ने रविवार कोलकाता सारांश को बताया कि उत्तर प्रदेश के नोएडा में देश में व्यापत भारी भ्रष्टाचार के प्रतिक ट्विन टावरों को ध्वस्त करना बिल्डरों, सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं की मिलीभगत और भयावह गठजोड़ का बड़ा बेशर्मी भरा उदाहरण है और जिसको देखते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से *देश में अधिकारियों और राजनेताओं की जवाबदेही तय करने और उनको दण्डित करने के लिए एक राष्ट्रीय जवाबदेही क़ानून * बनाने की जोरदार मांग की है ! कैट ने भ्रष्टाचार की मांद के खिलाफ देश में पहली बार इतना बड़ा कदम उठाने के लिए सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट और मोदी एवं योगी सरकार दोनों को बधाई दी पर यह भी कहा की इस बात का गहरा खेद है कि अभी तक जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों और तत्कालीन संबंधित राजनेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सुभाष अग्रवाला ने दृढ़ता से कहा कि वर्तमान स्थिति ने सरकारी अधिकारियों और संबंधित राजनेताओं के लिए सरकारी प्रशासन को अधिक चुस्त -दुरुस्त करने तथा जिम्मेदार बनाने के लिए एक राष्ट्रीय जवाबदेही कानून के गठन की आवश्यकता की है। इस मामले में जहाँ देश का बड़ा नुकसान हुआ है वहीँ बड़ी संख्यां में लोगों के अपना घर होने का सपना पूरी तरह से टूट गया है जबकि जिन अधिकारियों की मिलीभगत से यह निर्माण हुआ वो आज भी खुले घूम रहे हैं !
श्री सुभाष अग्रवाला ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 अप्रैल, 2014 को निर्देश दिया कि नोएडा प्राधिकरण के जिन अधिकारियों ने निर्माण की स्वीकृति दी है, उनकी पहचान कर उनके विरुद्ध उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास क्षेत्र अधिनियम 1976 के प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाया जाए और यूपी अपार्टमेंट अधिनियम, 2010 के अंतर्गत भी उनके खिलाफ कार्रवाई हो वहीँ सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2021 को उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा, लेकिन यह बेहद खेदजनक है कि अभी तक जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जो इस तरह के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे तथा उन जिम्मेदार राजनेताओं के खिलाफ भी कोई कदम नहीं उठाया गया जो ऐसे अधिकारियों का संरक्षण करते थे !
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने याद किया कि दिल्ली में 2007 से 2009 तक यही स्थिति रही थी जब दिल्ली के व्यापारियों के खिलाफ सीलिंग और तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई थी और अवैध निर्माणों को संरक्षण देने वाले किसी एक अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। देश भर में ऐसे हजारों उदाहरण हैं जहां अधिकारी अपने आधिकारिक दायित्वों का पालन नहीं करने और कर्तव्यों का निर्वहन करने में अक्षम साबित हुए और उनके खिलाफ कभी भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है !
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि उनके प्रशासनिक सुधारों के एजेंडे के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में राष्ट्रीय जवाबदेही कानून का एक तंत्र तुरंत बनाया जाए जिसमें अधिकारियों की जिम्मेदारियों का समय पर निर्वहन न करने और कर्तव्य की उपेक्षा के लिए उन पर दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान हो। वर्तमान परिदृश्य निश्चित रूप से एक असाधारण स्थिति है जहां अधिकारियों द्वारा भवन कानूनों की शर्तों और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के सिद्धांतों की घोर अवहेलना की गई और जिम्मेदारी के आचरण को काफी हद तक ध्वस्त कर दिया गया है। जवाबदेही के किसी भी कानून के अभाव में अधिकारी जो कुछ भी करना चाहते हैं उसे करने के लिए प्रोत्साहित महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें पता है की उनको जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा और उनके खिलाफ कभी भी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी !

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