पद्मश्री प्रो.रामदरस मिश्र जैसे कवि सदियों में पैदा होते हैं

 

पद्मश्री प्रो. रामदरस मिश्र तथा योगेन्द्र शुक्ल ‘सुमन’ जी को दी गई श्रद्धांजलि

गहन चिर अंधेरों में तुम दीया जलाकर चले गए. . .

दिनांक 14 नवंबर 2025। बुधवार को पद्मश्री प्रो. रामदरस मिश्र तथा कोलकाता के स्वनामधन्य गीतकार योगेन्द्र शुक्ल ‘सुमन’ जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए राष्ट्रीय कवि संगम,पश्चिम बंगाल, कथा कुञ्ज, पश्चिम बंगाल शाखा, तक्षवी, शब्दवीणा तथा नवसृजन एक सोच संस्थाओं के तत्वावधान में एक आनलाइन सार्वजनिक स्मरणांजलि सभा आयोजित की गई।
कार्यक्रम का सञ्चालन कथाकुंज, पश्चिम बंगाल की अध्यक्ष मौसमी प्रसाद ने किया। तक्षवी के संगठन मंत्री कमल पुरोहित ने पद्मश्री प्रो. रामदरस मिश्र के जीवन पर प्रकाश डाला। इस सभा की अध्यक्षता शब्दवीणा के अध्यक्ष रामनाथ ‘बेखबर’ ने किया। उन्होंने अपने अध्यक्षीय अभिभाषण में योगेन्द्र शुक्ल ‘सुमन’ जी के जीवन दर्शन एवं उनकी रचनाओं पर सविस्तार चर्चा की। विभूतियों को समरण करते हुए राष्ट्रीय कवि संगम, मध्य कोलकाता के अध्यक्ष रामा कांत सिन्हा ने कहा – “किसकी आँखें नम न हुई अंतिम तेरी विदाई में, तुम तो गए हंसते-हंसते पर सबको रुलाकर चले गए।” जबकि कथाकुंज, पश्चिम बंगाल की संगठन मंत्री भारती मिश्रा ने इस प्रकार श्रद्धा सुमन अर्पित किये – “पंच तत्व में लीन भले ही देह हुआ वह नश्वर है, गुना हुआ हर गीत अमर है ऊर्जा उनमें निर्जर है।” तक्षवी की सचिव प्रणति ठाकुर ने कहा – “गीतों का गह्वर स्तब्ध है, मुखर मौन की भाषा है। तेरी अस्थि भी गंगा में गीत रचेगी आशा है।” इस स्मरणांजलि सभा में “नवसृजन – एक सोच” संस्था के अध्यक्ष अमित अंबष्ट, राष्ट्रीय कवि संगम से उमेश चंद्र तिवारी, पुष्पा मिश्रा, शिविर ढांढनिया, समीर पासवान, सौमी मजुमदार, विजय शर्मा आदि कलमकारों ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
राष्ट्रीय कवि संगम , मध्य कोलकता की महामंत्री तथा तक्षवी की अध्यक्ष स्वागता बसु के धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही यह स्मरणांजलि सभा संपन्न हुई।

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