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भवानीपुर 75 पल्ली का "बिनोदिनी" थीम पंडाल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया उद्घाटन - Kolkata Saransh News

भवानीपुर 75 पल्ली का “बिनोदिनी” थीम पंडाल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया उद्घाटन

कोलकाता, 24 सितंबर : भवानीपुर 75 पल्ली के दुर्गापूजा पंडाल का इस वर्ष का थीम “बिनोदिनी” बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उद्घाटन कर दर्शकों के लिए खोल दिया। पंडाल का यह 61वां वर्ष है, और इस वर्ष की थीम 19वीं सदी की अग्रणी रंगमंच कलाकार नति बिनोदिनी दासी को समर्पित भावपूर्ण श्रद्धांजलि है।

उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री के साथ विधायक मदन मित्रा, सामाजिक कार्यकर्ता कार्तिक बनर्जी और स्थानीय पार्षद पापिया सिंह उपस्थित रहे। इस मौके पर भवानीपुर 75 पल्ली उत्सव कमेटी के सचिव सुबीर दास ने कहा कि यह थीम केवल कलात्मक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि बंगाल की उस महिला शक्ति को याद करने का अवसर है, जिसने समाज की बाधाओं को पार करके सांस्कृतिक धारा को नई दिशा दी।

भवानीपुर 75 पल्ली ने अपने पंडाल को एक थिएट्रिकल कथा स्थल का रूप दिया है। कलात्मक संस्थान, जटिल सेट डिजाइन और ध्वनि-प्रकाश प्रस्तुतियों के जरिये बिनोदिनी की असाधारण जीवन यात्रा को दर्शाने का प्रयास किया गया है। आगंतुकों को उनके पहले कदमों से लेकर रंगमंचीय सफलता, सांस्कृतिक दिग्गजों के साथ जुड़ाव और अंततः आध्यात्मिक साधना तक के महत्वपूर्ण चरणों का अनुभव कराया जाएगा।

नति बिनोदिनी, जिनका जन्म 1862 में हुआ था, रंगमंच में महिलाओं की स्थिति को बदलने वाली पहली शख्सियतों में गिनी जाती हैं। उन्होंने गिरीशचंद्र घोष के निर्देशन में चैतन्य लीला, सितार बोनोबास और मेघनाद बध जैसे नाटकों में अभिनय कर चर्चित पहचान बनाई। उनके उत्कृष्ट अभिनय की प्रशंसा बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, रवींद्रनाथ ठाकुर और रामकृष्ण परमहंस जैसे महान विभूतियों ने भी की। उनकी आत्मकथा अमार कथा आज भी कला के क्षेत्र में नारी संघर्ष और विजय का सशक्त प्रमाण मानी जाती है।

इस वर्ष पंडाल के डिजाइनर अभिजीत नंदी और मूर्तिकार परिमल पाल ने बहुस्तरीय संरचना के साथ बिनोदिनी के जीवन के विविध चरणों को प्रतीकात्मक रूप दिया है। देवी दुर्गा की प्रतिमा उनकी अदम्य भावना को उजागर करते हुए परंपरा और परिवर्तन के संगम का प्रतीक बन गई है।

पंडाल उद्घाटन के साथ ही दक्षिण कोलकाता की प्रमुख थीम पूजाओं में शुमार भवानीपुर 75 पल्ली ने दर्शकों, भक्तों और कला प्रेमियों के लिए अपने दरवाज़े खोल दिए हैं। समिति की ओर से कहा गया कि यह आयोजन न सिर्फ पूजा उत्सव है, बल्कि बंगाल की समृद्ध नाट्य परंपरा और सांस्कृतिक चेतना का उत्सव भी है।

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