सांस्कृतिक निरक्षरता सबसे बड़ी चुनौतीः प्रो.संजय द्विवेदी

भारतबोध, भारतीयता और हिंदी पत्रकारिता’ विषय पर संगोष्ठी

भिलाई (छत्तीसगढ़)। भारतीय जन संचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी का कहना है कि गहरी सांस्कृतिक निरक्षरता और संवेदनहीनता ने समाज के सामने गंभीर संकट खड़े किए हैं, जिसमें मीडिया की विश्वसनीयता का मुद्दा भी शामिल है। सच के साथ खड़ा रहना कभी आसान नहीं था। किंतु समय ऐसे ही नायकों को इतिहास में दर्ज करता है, जो समाज का दर्द दूर करने के लिए सच के साथ खड़े होते हैं। वे यहां वसुंधरा संस्था द्वारा आयोजित ‘भारतबोध, भारतीयता और हिंदी पत्रकारिता’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्यवक्ता की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।
छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा, ग्रामोद्योग, विधि एवं विधायी मंत्री श्री गजेन्द्र यादव के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस संगोष्ठी में प्रतिष्ठित स्तंभकार श्री अनंत विजय, छत्तीसगढ़ साहित्य अकॉदमी के अध्यक्ष श्री शशांक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार विश्वेश ठाकरे अतिथि वक्ता के रूप में शामिल थे। प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता का 200 सालों का इतिहास रचना, सृजन और संघर्ष का इतिहास है। हमारे यशस्वी संपादकों-पत्रकारों के बहुत गहरे मूल्यबोध और भाषा की सेवा से हिंदी की दुनिया सर्वव्यापी हुई है। मीडिया विहीन समाज के कभी लोकतांत्रिक चेतना का वाहक नहीं हो सकता।

विश्वसनीयता है पत्रकारिता का आधारः यादव
मुख्य अतिथि स्कूल शिक्षा मंत्री श्री गजेन्द्र यादव ने कहा कि आधुनिक पत्रकारिता में विश्वनीयता पर जोर देने की आवश्यकता है। उन्होंने झीरम घाटी की घटना तथा डीमरापाल (जगदलपुर) में आयोजित स्काउट्स एवं गाईड जम्बुरी का जिक्र करते हुए कहा कि पत्रकारिता में नकारात्मक खबरों का स्थान कम होना चाहिए। सकारात्मक खबरों पर विशेष फोकस होना चाहिए। उन्होंने रायपुर-दुर्ग फोरलेन सड़क निर्माण व तत्कालीन कलेक्टर द्वारा मीडिया से की गई अपील का जिक्र करते हुए कहा कि एक नकारात्मक समाचार समाज को विचलित करता है। वहीं सकारात्मक समाचार से समाज प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथे स्तंभ होने के नाते समाज को दिशा देने का का काम करता है। मंत्री श्री यादव ने कहा कि देश में अमृतकाल चल रहा है, यह सही मायने में भारत, भारतीय और हिन्दु संस्कृति का अमृतकाल है।
श्री अनंत विजय ने कहा कि भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने हिंदी भाषा के विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान किया। उनके अलावा भी कई लोग थे जिन्होंने हिंदी के लिए अपनी जिंदगी खपा दी। आज अगर हिंदी पत्रकारिता की धमक वैश्विक स्तर पर महसूस की जा रही है तो उनको याद करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता हो या सिनेमा हमें वही समाज को परोसना चहिए जिसमें देश व समाज का हित हो।
इस अवसर अतिथियों ने हिन्दी पत्रकारिता पर केन्द्रित ‘कृति बहुमत’ के विशेष अंक तथा छत्तीसगढ़ की हिन्दी पत्रकारिता नींव के पत्थर विषय पर आधारित ‘कृति वसुन्धरा’ के अंक का लोकार्पण किया। कार्यक्रम के संयोजक श्री विनोद मिश्र ने आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार लेखिका श्वेता उपाध्याय ने किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री श्रीमती रमशीला साहू हेमचंद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय तिवारी, विधायक श्री ललित चन्द्राकर एवं अन्य जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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