गोमाता, गंगा, गायत्री का संरक्षण और सम्मान प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है – स्वामी विशोकानंद भारती

कोलकाता । निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती महाराज ने सत्संग भवन में कहा धर्म, अध्यात्म, संस्कृति का त्रिवेणी संगम है सत्संग भवन । स्वामी विशोकानंद भारती महाराज ने गो – गंगा, गायत्री की महिमा पर कहा गौ-गंगा-गायत्री का अर्थ है गौ माता (गाय), गंगा नदी और गायत्री मंत्र । गौ, गंगा, गायत्री को भारतीय संस्कृति का आधार माना जाता है, इन तीनों का संरक्षण और सम्मान प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है । गोमाता, गंगा, गायत्री का आश्रय लेकर उपासना के माध्यम से जीव परमात्मा का सानिध्य प्राप्त कर लेता है । गंगा मुक्ति (मोक्ष) प्रदायिनी है । उन्होंने कहा गायत्री की उपासना ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य सभी को करनी चाहिये । सनातन वैदिक धर्म की मान्यता है कि गोमाता, साधु – सन्त की सेवा से मानव जीवन की सुरक्षा, सुख – शान्ति और अच्छे संस्कारों का सृजन होता है । धर्म एवम् भक्तों की रक्षा के लिये मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम एवम् श्रीकृष्ण का अवतार हुआ । समाजसेवी इन्द्र कुमार डागा, महेश आचार्य ने स्वामी विशोकानंद भारती महाराज, दंडीस्वामी ब्रह्माश्रम महाराज का अभिनंदन किया । स्वामी ब्रह्मविद्यानंद ब्रह्मचारी, स्वामी मंगल भारती, राजू शर्मा, अभय पाण्डेय एवम् कार्यकर्ता सक्रिय रहे । सत्संग भवन के ट्रस्टी पण्डित लक्ष्मीकांत तिवारी, दीपक मिश्रा ने श्रद्धालु भक्तों से सत्संग भवन में स्वाध्याय, सत्संग में पुण्य अर्जित करने का निवेदन किया ।

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