भाजपा ने चुनाव से पूर्व आसनसोल मे संगठन की मजबूती पर दिया जोर,भाजपा की नयी जिला समितियां घोषित

आसनसोल। आसनसोल जिला सांगठनिक भाजपा जिलाध्यक्ष देवतनु भट्टाचार्य द्वारा अगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र जिला कमेटी सदस्यों की घोषणा कर दी गई है। जिसमे 26 सदस्यों को नई कमेटी में रखा गया है जिसमें। 9 उपाध्यक्ष, 4 महासचिव, 8 सचिव, एक कार्यालय सचिव, एक कोषाध्यक्ष, एक मीडिया प्रभारी, एक सोशल मीडिया प्रभारी, एक आईटी प्रभारी बनाया गया है। प्रमुख नामों में उपाध्यक्ष प्रशांत चक्रवर्ती, मधुमिता चटर्जी, शंपा रॉय, आशा शर्मा, तापस राय, अभिजीत आचार्य, संतोष सिंह, तुषार कांति बनर्जी। महासचिव में केशव पोद्दार काक्कली घोष, अरिजीत राय, अपूर्व हाजरा। सचिव में परेश घोष, उपासना उपाध्याय, सुशील टुडू, हीरामय बनर्जी, बाबन मंडल, सत्यजीत दास, बादशाह चटर्जी, सुमीता सिन्हा। कार्यालय सचिव सुदीप्ता रॉय, कोषाध्यक्ष अभय बरनवाल, मीडिया प्रभारी सौम्या दल्ली, सोशल मीडिया प्रभारी सतद्रू साधु, आईटी प्रभारी विधान चंद्र तिवारी। भाजपा की नई कमेटी में हिंदी भाषाओं को तरजीह नहीं दी गई है। 26 सदस्यों की सूची में मात्र पांच हिंदी भाषी सदस्य हैं। जबकि आसनसोल इलाके में 60% हिंदी भाषी लोग रहते हैं। नई सूची में पुराने भाजपा नेताओं को भी जगह नहीं मिली है। जिसे लेकर पुराने भाजपा नेताओं द्वारा आवाज उठाए जा रहा है। एक पुराने भाजपा नेता ने कहा है कि भाजपा में भाषागत भेदभाव नहीं है और श्री निर्मल कर्मकार और श्री लखन घुरुई के जिलाध्यक्ष काल तक वाकई  में ऐसा था भी पर दिलीप दे के आगमन से लेकर बप्पा चटर्जी और अब देवतनु भट्टाचार्य के जिलाध्यक्ष काल में यह भेदभाव स्पस्ट रुप से परीलक्षित हो रही है। आसनसोल जिला में पचास प्रतिशत से अधिक हिन्दी भाषी आबादी और पूरे जिले में  साठ प्रतिशत से अधिक हिन्दी भाषी कर्मीयों में से सिर्फ पांच ही ऐसे योग्य मिले जो जिला कमिटी में पदाधिकारी बन सकते हैं? आप बांग्ला पक्ष की बुराई करते हैं पर तृणमूली बांग्ला पक्ष से ज्यादा कट्टर बाग्ला पक्ष तो भाजपा में सक्रिय है। जिसका एक नवनियुक्त महासचिव आसनसोल जिला कार्यालय में खुलेआम एक नेता को धमकाते हुए कहता है कि तुम झंडा ढोओ,नारा लगाओ,नेता तो हमी रहेंगे।जबकि वहीं पिछले पन्द्रह वर्षों में तृणमूल के शिवदासन दासू, जितेन्द्र तिवारी,विधान उपाध्याय सभी जिलाध्यक्ष रहे हैं।कई विधायक हिन्दी भाषी हुए हैं,अभी भी जामुडिया के विधायक हिन्दी भाषी ही है।मेयर विधान उपाध्याय ,पुर्व मेयर जितेन्द्र तिवारी भी हिन्दी भाषी। लेकिन बताईये कि श्री रामकुमार सिंह के बाद कौन हिन्दी भाषी  जिलाध्यक्ष बना? सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। इसलिए सभी राष्ट्रवादियों से विनम्र आग्रह है कि इस तथाकथित पूर्व टीम बाबूल के चंगुल से जिला को बचाने एकजूट हो। माननीय जिलाध्यक्ष श्री देवतनु भट्टाचार्य से करबद्ध निवेदन है कि इस तथाकथित पूर्व टीम बाबूल से बचें। वरना आप का भी हश्र कहीं वैसा ही न हो जाये। संगठन का तो होना तय है।

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