राष्ट्रपति के लिए यशवंत सिन्हा को स्वीकार नहीं कर पा रही माकपा, क्रॉस वोटिंग की आशंका

 

कोलकाता। राष्ट्रपति पद के लिए प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष सार्वभौमिक चेहरे के तौर पर माकपा पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) स्वीकार नहीं कर पा रही है। बंगाल में पार्टी के वरिष्ठ नेता और कलकत्ता हाईकोर्ट के धाकड़ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने यशवंत सिन्हा को लेकर नाराजगी जताई है। पार्टी के अन्य धड़े का भी कमोबेश यही मानना है जिसके बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि वाममोर्चा से जुड़े विधायक और सांसद क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं। सीपीएम के राज्यसभा सांसद विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा है कि यशवंत सिन्हा को विपक्ष का साझा उम्मीदवार घोषित करना सही फैसला नहीं था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता का संदेश देने के लिए किसी ऐसे चेहरे पर मुहर लगाया जाना चाहिए था जो सार्वभौमिक स्वीकृति वाला हो। उनका कहना है कि सिन्हा पूर्व में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे हैं और अब एक ऐसी पार्टी में हैं जिसकी राजनीतिक खून खराबे पर केंद्रित रही है। हालांकि विपक्षी पार्टियों की बैठक में शामिल सूत्रों ने बताया है कि यशवंत सिन्हा के नाम पर मुहर लगाने से पहले लेफ्ट समेत सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियों से सहमति ली गई थी। बहरहाल यह भी दावा किया जा रहा है कि चुकी यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाए जाने से वाममोर्चा खुश नहीं है इसलिए बहुत हद तक संभव है कि क्रॉस वोटिंग हो। वैसे भी भाजपा नेता एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है जो जबरदस्त चयन माना जा रहा है। एनडीए का हिस्सा नहीं होने के बावजूद ओडिशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजद के प्रमुख और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि मुर्मू पूरी दुनिया में महिला सशक्तिकरण और सामाजिक समरसता का संदेश देंगी। इससे माना जा रहा है कि उनकी पार्टी के विधायक और सांसद द्रौपदी मुर्मू को ही वोट देंगे। इसके अलावा झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में शामिल विधायकों और उनके सांसदों का भी आदिवासी उम्मीदवार को छोड़कर किसी और को मत देना मुश्किल होगा। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी आदिवासी समुदाय के कांग्रेसी विधायकों और सांसदों का यशवंत सिन्हा को वोट देना संभव नहीं होगा। इसलिए माना जा रहा है कि सिन्हा के बजाय द्रौपदी मुर्मू की जीत लगभग सुनिश्चित हो चुकी है।

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