धर्म – संस्कृति एवम् सत्संग से जुड़े रहने से आत्मीय सुख — ब्रह्माश्रम महाराज

कोलकाता । सत्संग भवन में पधारे दण्डीस्वामी ब्रह्माश्रम जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा सत्संग भवन धर्म, अध्यात्म, संस्कृति का त्रिवेणी संगम है । भौतिक, सांसारिक सुख की चाहत में मन चंचल होता है, लेकिन अध्यात्म, धर्म – संस्कृति एवम् सत्संग से जुड़े रहने से आत्मीय सुख का अनुभव होता है । हरिद्वार से पधारे ब्रह्माश्रम महाराज ने कहा भारत में हिन्दू धर्मावलम्बी, श्रद्धालु भक्त राम राज्य, हिन्दू राष्ट्र की कल्पना कर रहे हैं, लेकिन विडम्बना है कि वोट बैंक में निहित राजनीतिक स्वार्थ बढ़ता जा रहा है । मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का स्मरण करते हुए कहा विश्व में ईश्वर सर्वत्र व्याप्त है । भारत में वैदिक सनातन धर्म, संस्कृति के अनुरूप ईश्वर के अनुयायी के रूप में आस्था के केन्द्र मठ – मन्दिर से भक्तों का मार्गदर्शन करने की परम्परा है । सनातन हिन्दू धर्म के प्रति आस्था एवम् परस्पर सद्भावना रखते हुए राष्ट्रीय एकता से भारत का हित, विकास जुड़ा है । जागे तभी सवेरा, गुरुकुल शिक्षा सभी नागरिकों को मिले । बच्चों, युवा पीढ़ी को सु – संस्कारित करना अभिभावकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं का नैतिक कर्तव्य है । नागरिक स्वास्थ्य संघ के उपाध्यक्ष इन्द्र कुमार डागा, गोवर्धन मूंधड़ा, महेश आचार्य, हरि प्रकाश सोनी, राजकुमार कोठारी, राजू शर्मा, अभय पाण्डेय एवम् श्रद्धालु भक्तों ने स्वामी जी का स्वागत किया । सत्संग भवन के ट्रस्टी पण्डित लक्ष्मीकांत तिवारी, दीपक मिश्रा ने श्रद्धालु भक्तों से दैनिक कथा – प्रवचन में उपस्थित रह कर पुण्य अर्जित करने का निवेदन किया ।

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