कोलकाता, 17 जुलाई । उत्तर प्रदेश से आई तीर्थयात्रियों की बस को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में बुधवार को घंटों तक रोके जाने के बाद मामला गरमा गया है। बस में सवार श्रद्धालुओं ने आरोप लगाया कि उन्हें मल्लारपुर में सुबह से रात तक परेशान किया गया और बिना किसी ठोस कारण के रोके रखा गया। वहीं, परिवहन विभाग ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि बस के पास बंगाल में प्रवेश के लिए आवश्यक परमिट नहीं था।
परिवहन अधिकारियों ने मल्लारपुर स्थित किसान मंडी में बस को दोपहर लगभग एक बजे रोका और रात 10 बजे तक वहां रखा। इस दौरान अधिकारियों ने बस चालक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को फर्जी बताते हुए एक लाख 94 हजार 450 रुपये का जुर्माना भी ठोका। बस चालक ने दावा किया कि उसे इस्लामपुर चेकपोस्ट से वैध चालान दिया गया था, लेकिन विभागीय निरीक्षकों ने उसे मान्य नहीं माना।
घटना के विरोध में भाजपा के स्थानीय नेता और समर्थक रात में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 14 पर मल्लारपुर के पास सड़क पर उतर आए और कुछ देर के लिए रास्ता जाम कर दिया। उनका आरोप था कि तीर्थयात्रियों के साथ दुर्व्यवहार हुआ है। बाद में मल्लारपुर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और तीर्थयात्रियों के लिए भोजन व पानी की व्यवस्था की। साथ ही हस्तक्षेप कर प्रदर्शन समाप्त कराया गया।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बस मालिक ने यह लिखित रूप से दिया कि वह उत्तर प्रदेश लौटने के बाद बंगाल में प्रवेश परमिट का शुल्क अदा करेगा। इसके बाद देर रात बस को छोड़ दिया गया।
जानकारी के अनुसार, तीर्थयात्रियों का यह दल पहले तारापीठ मंदिर गया था और आगे दक्षिणेश्वर सहित राज्य के कई प्रमुख मंदिरों में दर्शन की योजना थी। लेकिन इसी बीच परमिट विवाद ने यात्रियों की यात्रा को बाधित कर दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से राज्य के बांग्ला भाषी समुदाय के खिलाफ दूसरे राज्यों में कथित तौर पर परेशान करने का आरोप लगाए जाने के बाद परिवहन विभाग के कर्मचारियों की इस कार्रवाई ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।