पोलियो का वायरस मिलने के बाद कोलकाता के छह इलाकों में निगरानी

 

कोलकाता । कोलकाता के छह इलाकों में सीवेज के पानी में पोलियो वायरस का हालिया पता लगने के बाद इन क्षेत्रों में लोगों की सेहत पर लगातार निगरानी की जा रही है। राज स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय और कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के अधिकारी कुछ मापदंडों के आधार पर छह पॉकेट की निगरानी कर रहे हैं। इस बात पर खासतौर पर ध्यान दिया जा रहा है कि गलत जगहों पर जल निकासी ना हो और खुले में शौच आदि पर पूरी तरह से लगाम लगे।

मटियाब्रुज जहां वायरस का पता चला था, वहां आसपास के पांच अन्य क्षेत्र श्यामलाल लेन, वर्ल्ड विजन स्कूल क्षेत्र, धापा लॉकगेट, महेशतला और नारकेलडांगा हैं। इन सभी क्षेत्रों में निगरानी रखी जा रही है।

इसके अलावा, केएमसी अधिकारियों ने यह पता लगाने के लिए अतिरिक्त उपाय अपनाने का फैसला किया है कि इन क्षेत्रों में कोई पोलियो पीड़ित है या नहीं।

केएमसी के तहत सभी 144 वार्डों के पार्षदों को पोलियो पीड़ितों की पहचान करने के लिए अपने स्वयं के बुनियादी ढांचे का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है।

इसी तरह के निर्देश केएमसी क्षेत्र के थानों के प्रभारी अधिकारियों को भी भेजे गए हैं।

इस बीच, राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कुछ ऐसे जिलों की भी पहचान की है जहां 19 जून से विशेष पोलियो टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा।

इनमें से कुछ जिले हावड़ा, हुगली, दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना, उत्तर दिनाजपुर, मालदा और मुर्शिदाबाद हैं।

इस बीच, सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि वे वहां भर्ती सभी इम्युनिटी डेफिसिट बच्चों का स्टूल टेस्ट कराएं।

प्रारंभिक अवलोकन सीवेज के पानी में पोलियो वायरस के अस्तित्व के पीछे दो संभावनाओं का संकेत देते हैं।
अंदाजा लगाया जा रहा है कि पोलियो प्रभावित किसी बच्चे का माल गटर के पानी में गया है जहां से वायरस मिले हैं। दूसरा पोलियो के टीके के उसी पानी में मिलने की संभावना है।
पश्चिम बंगाल में आखिरी पोलियो पीड़ित बच्चे का पता 2011 में राजधानी कोलकाता से सटे हावड़ा जिले में चला था। उसके बाद 2014 में, डब्ल्यूएचओ ने भारत को पोलियो मुक्त राष्ट्र घोषित किया था।

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