कोलकाता ट्रांसलेटर्स फ़ोरम ने आयोजित की अनुवाद संध्या

 

कोलकाता। कोलकाता ट्रांसलेटर्स फ़ोरम तथा हवाजान प्रकाशन द्वारा संयुक्त रूप से ‘रीड एंड राइट’ के लघु सुसज्जित हाॅल में विशेष रूप से अनुवाद को केंद्रित कर एक संध्या आयोजित की गई, जिसमें अनुवादकों ने अनुवाद यात्रा की शुरुआत तथा उपलब्धियों पर चर्चा की।

इस मौके पर ट्रांसलेटर्स फ़ोरम के अध्यक्ष कवि तथा अनुवादक श्री रावेल पुष्प ने फ़ोरम की स्थापना तथा इसकी गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एक अनुवादक को यथोचित मर्यादा पहले नहीं मिलती थी। उसका नाम मुद्रित पुस्तक में कहीं अंदर में दे दिया जाता था, लेकिन आज अनुवादक को भी मर्यादा देनी शुरू हो गई है। इस सिलसिले में उन्होंने बूकर पुरस्कार प्राप्त पहली हिन्दी कृति ‘रेत की समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘दि टाॅम्ब आफ़ सैण्ड’ का जिक्र करते हुए बताया कि जहां पुरस्कार की राशि उसकी मूल लेखिका गीतांजलि श्री को दी गई , वहीं बराबर उतनी ही राशि उसकी अनुवादिका डेज़ी आरवेल को भी दी गई। उन्होंने आगे कहा कि ट्रांसलेटर्स फ़ोरम अनुवादकों को उपयुक्त मर्यादा दिलाने और उसे व्यावसायिक स्तर तक ले जाने के लिए प्रयत्नशील है तथा अनुवाद कर्म के प्रति लगाव के लिए युवाओं के लिए कार्यशाला भी आयोजित करता रहता है।  इस आयोजन में जहां अनुवादकों ने अपनी अनुवाद यात्रा की रोचक चर्चा की, वहीं कुछ अनुवादकों ने अपनी अनूदित कविताओं का पाठ भी किया।

 युवा साहित्यकार सौम्यजीत आचार्य के संचालन में हुए इस कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे- सर्वश्री बासुदेव दास, चंद्रशेखर भट्टाचार्य, श्यामल भट्टाचार्य, तृष्णा बसाक, फटिक चौधरी, जया चौधरी, शुभो मैत्रा, नवनीता सेनगुप्ता, सुधांशु रंजन साहा, कणिष्क भट्टाचार्य, लिपिका साहा, नीलाद्रि चक्रवर्ती, सौमेन बसाक तथा मृदुला सरकार।  आखिर में हवाजान प्रकाशन की ओर से सर्वजीत सरकार ने इस खास अनुवाद संध्या के लिए सभी को धन्यवाद दिया।

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