नए तरीके से चखाया वही पुराना स्वाद, जानें कैसी है अर्जुन कपूर, भूमि पेडनेकर और रकुलप्रीत की फिल्म

र्जुन कपूर, भूमि पेडनेकर और रकुलप्रीत तीनों अच्छे एक्टर हैं और उनकी फिल्म ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ थिएटर में रिलीज हो चुकी है. विकी कौशल की ‘छावा’ के रिलीज होने के अगले ही हफ्ते ये फिल्म रिलीज हो चुकी है.

अब बॉक्स ऑफिस पर ये किस तरह से बिजनेस करती है, ये तो जनता के हाथ में है. लेकिन तब तक हम आपको बता सकते हैं कि अर्जुन कपूर, भूमि पेडनेकर और रकुलप्रीत सिंह की ये फिल्म कैसी है? ताकि आपको ये फैसला लेने में आसानी हो कि ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ थिएटर में जाकर देखनी चाहिए ये नहीं.

मुदस्सर अज़ीज़ के निर्देशन में बनी,’मेरे हसबैंड की बीवी’ एक ‘वन टाइम वॉच’ फिल्म है. फिल्म कॉमेडी से भरपूर है. लेकिन इस में ऐसी कोई बात नहीं है, जो हमने पहले कभी न देखी हो. वैसे भी मेकर्स की तरफ से भी दावा किया गया था कि वो ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ से 90s की उन फिल्मों को याद करना चाहते हैं, जो लोग आज भी देखते हैं. दो हफ्ते पहले हिमेश रेशमिया ने भी 80s को ट्रिब्यूट कहते हुए ‘बैडएस रवि कुमार’ रिलीज की थी. लेकिन उस फिल्म से तो ये फिल्म 10 गुना अच्छी है और आपको ये सिरदर्द भी नहीं देगी.

कहानी

अंकुर चड्ढा (अर्जुन कपूर) की सबसे बड़ी प्रॉब्लम का नाम है प्रबलीन कौर (भूमि पेडनेकर). प्रबलीन से शादी टूटने के बाद जिंदगी उसे दूसरा मौका देती है और उसे अंतरा खन्ना (रकुलप्रीत) से प्यार हो जाता है. लेकिन इस बीच एक एक्सीडेंट की वजह से प्रबलीन की याददाश्त चली जाती है और वो भूल जाती है कि वो अंकुर से अलग हो चुकी है. अब एक तरफ अंतरा और दूसरी तरफ प्रबलीन, इन दोनों में से अंकुर चड्ढा किसको चुनेगा? ये जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ देखनी होगी.

कैसी है ये फिल्म

‘मेरे हसबैंड की बीवी’ की सबसे अच्छी बात है इसकी कॉमेडी. कॉमेडी की वजह से शुरुआत से लेकर आखिर तक ये फिल्म बोर नहीं करती. फिल्म एंटरटेनिंग भी है. लेकिन कुछ सीन का लॉजिक से कुछ लेना-देना नहीं है. सभी एक्टर फिल्म को संभालने की कोशिश करते हैं. लेकिन ये फिल्म उस टॉफी की तरह है, जो स्वाद में मीठी तो लगती है. पर मजा नहीं आता.

निर्देशन

मुदस्सर अजीज ने ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ जैसी फिल्में पहले भी बनाई है. उन्होंने लव ट्रायंगल में महारथ हासिल की है. लेकिन जब कोई एक्सपर्ट हमारे सामने उसका प्रोडक्ट पेश करता है, तब हमें भी उससे ‘बेस्ट’ की उम्मीद रहती है. लेकिन यहां मुदस्सर अजीज ने एक ‘एवरेज’ प्रोडक्ट हमारे सामने पेश किया है. 6 साल पहले भूमि और कार्तिक के साथ बनाई हुई फिल्म ‘पति पत्नी और वो’ और अब रिलीज हुई फिल्म ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ की कहानी में जरूर फर्क है, लेकिन दोनों फिल्मों की ट्रीटमेंट में कुछ खास फर्क नहीं है. एक प्रेडिक्टेबल कहानी को अच्छे स्क्रीनप्ले के रैपर में सजाया गया है, लेकिन अब लोगों की चॉइस बदल गई है. इस तरह की फिल्में लोग ओटीटी पर ज्यादा देखना पसंद करते हैं.

एक्टिंग

अर्जुन कपूर ने ‘बेचारे पति’ के किरदार में खरे उतरे हैं. सिंघम के ‘डेंजर लंका’ के बाद उनका ये पूरी तरह से अलग अंदाज इस बात को दर्शाता है कि अर्जुन एक वर्सटाइल एक्टर हैं और उन्हें अगर सही किरदार ऑफर हो, तो वो पर्दे पर कमाल कर सकते हैं. इस फिल्म के क्लाइमेक्स में भूमि और उनके सीन में उन्होंने बहुत अच्छी एक्टिंग की है. प्रबलीन कौर के किरदार में भूमि मजेदार हैं. ‘भक्षक’ में एक समझदार पत्रकार का किरदार निभाने वाली भूमि, प्रबलीन के लाउड किरदार को भी उतनी ही शिद्दत के साथ निभाती है. राकुलप्रीत ने भी अपने किरदार को पूरी तरह से न्याय दिया है. हालांकि अर्जुन और भूमि के मुकाबले उनके किरदार में कुछ खास करने लायक नहीं था.

हर्ष गुजराल इस फिल्म के ‘सरप्राइज पैकेज’ रहे हैं. स्टैंड अप कॉमेडियन से एक एक्टर तक का उनका ट्रांजिशन कमाल का रहा है. अपनी एफर्टलेस एक्टिंग से उन्होंने साबित कर दिया है कि वो एक अच्छे एक्टर भी हैं. स्टैंड अप कॉमेडियन से एक्टर बने अनुभव बस्सी और कुल्लू के मुकाबले हर्ष की स्क्रीन प्रेसेंस अच्छी है. वैसे भी फिलहाल स्टैंड अप कॉमेडियन के इर्द-गिर्द चल रहे विवादों के बाद तो कह सकते हैं कि हर्ष ने सही समय पर सही फैसला लिया है.

देखें या न देखे

‘नो ब्रेनर’ फिल्में एक समय पर बहुत एन्जॉय की जाती थीं. लेकिन अब समय बदल गया है. बढ़ते डिजिटलाइजेशन में लोगों के पास मोबाइल में कंटेंट देखने के ऑप्शन बढ़ गए हैं. बॉलीवुड से ज्यादा साउथ की फिल्मों की तरफ झुकाव बढ़ रहा है और यही वजह है कि एक समय पर खूब चलने वाली ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ जैसी फिल्मों के लिए मार्केट बहुत टाइट होता जा रहा है. थिएटर में जाकर 300 रुपये का टिकट और 300 के पॉपकॉर्न खरीदने के बाद अगर ऐसी फिल्म देखने मिले, जो ओटीटी पर भी आसानी से देखने मिल जाए, तो एक आम आदमी थिएटर में क्यों जाना चाहेगा? शायद यही वजह है कि ‘मुंज्या’, ‘स्त्री’ जैसी फिल्में चलने लगी है. ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ में न तो सिनेमेटिक एक्सपीरियंस हैं, न ही स्ट्रॉन्ग सब्जेक्ट है, ये एक ऐसी मसाले वाली फिल्म है, जो मसाला पहले भी कई फिल्मों में डाला गया है और ये फिल्में ओटीटी परभी आसानी से मौजूद हैं.

‘मेरे हसबैंड की बीवी’ बुरी फिल्म नहीं है. लेकिन क्या उसे थिएटर में जाकर देखना चाहिए या नहीं? ये फैसला आप कीजिए. पर हम तो यही कहेंगे कि फिल्म ‘वन टाइम वॉच’ है. आप अर्जुन कपूर, भूमि पेडनेकर या रकुलप्रीत में से किसी के फेन हो , या फिर आपको 90s स्टाइल की मसाला फिल्में थिएटर में जाकर देखना पसंद है, तो आप ये फिल्म जरूर देख सकते हैं.

फिल्म का नाम : मेरे हसबैंड की बीवी

एक्टर : अर्जुन कपूर, भूमि कपूर, रकुलप्रीत

निर्देशक : मुदस्सर अजीज

रिलीज़ : थिएटर

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