कोलकाता । स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के जरिए ग्रुप सी और ग्रुप डी में नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार और न्यायमूर्ति आनंद कुमार मुखर्जी की खंडपीठ द्वारा गठित बाग कमेटी ने शुक्रवार को इस बारे में रिपोर्ट दाखिल कर यह दावा किया है। इसमें बताया गया है कि कुल 381 लोगों को गैरकानूनी तरीके से नियुक्त किया गया है। कितने बड़े पैमाने पर धांधली हुई है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन 381 लोगों में से 222 ऐसे लोग थे जिन्होंने परीक्षा ही नहीं दी थी लेकिन उन्हें शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया गया। जबकि बाकी 159 लोगों ने परीक्षा पास नहीं की थी फिर भी मेरिट लिस्ट में इनका नाम लाकर इन्हें नियुक्ति दी गई। रिपोर्ट पेश आने के बाद खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया कि ग्रुप सी और ग्रुप डी में नियुक्ति प्रक्रिया पर अंतरिम रोक जारी रहेगी। 18 मई को मामले में फैसला सुनाया जाएगा।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सौमेंद्र नाथ मुखर्जी ने बताया कि बाग कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में विभागीय जांच की सिफारिश की है जिसके लिए राज्य सरकार तैयार है। पुलिस कभी भी जांच से पीछे नहीं हटी है और ना ही किसी को बचाने की कोशिश की गई है।
इसके अलावा बाग कमेटी के अधिवक्ता अरुणाभ बनर्जी ने कहा कि जिन लोगों को गैरकानूनी तरीके से नियुक्त किया गया है उनके नंबरों को फर्जी तरीके से बढ़ाया गया। उनका ओएमआर सीट (उत्तर पुस्तिका) भी बदलकर उसमें जवाब को चेंज किया गया।
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सीबीआई जांच की मांग
– दूसरी ओर याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि बाग कमेटी की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि शिक्षकों की नियुक्ति में कितने बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। शिक्षा विभाग के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति के आदेश के बगैर यह संभव नहीं है। उन्होंने सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि इसमें शिक्षा मंत्री से लेकर शीर्ष स्तर के अधिकारी तक शामिल हैं। सारे राज खुलने पर आगे सरकार की बदनामी होगी इसलिए राज्य सरकार की जांच एजेंसियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
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भ्रष्टाचार में कौन-कौन से अधिकारी रहे हैं शामिल
– खंडपीठ ने पूर्व न्यायाधीश रंजीत कुमार बाग के नेतृत्व में जांच कमेटी का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट शुक्रवार को सौंपी है। इसमें प्रोग्राम ऑफिसर समरजीत आचार्य का नाम भी उन लोगों की सूची में है जो नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली के लिए जिम्मेवार रहे हैं। आचार्य तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के ओएसडी रहे हैं। इसके अलावा एसएससी के चेयरमैन सौमित्र सरकार, मध्य शिक्षा परिषद के चेयरमैन कल्याणमय गांगुली, एसएससी के सचिव अशोक कुमार साहा, पूर्व चेयरमैन सुब्रत भट्टाचार्य, आंचलिक चेयरमैन शर्मिला मित्रा, सुभोजित चटर्जी, शेख सिराजुद्दीन, महुआ विश्वास, चैताली भट्टाचार्य और बोर्ड के टेक्निकल ऑफिसर राजेश लायक को इस पूरे भ्रष्टाचार के लिए कमेटी ने जिम्मेवार ठहरा कर इनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।