व्यङ्कटेश्वर विश्वविद्यालय में महाकाव्य-लोकार्पण , १५१ विधा-विशेषज्ञों का अलङ्करण और परिचर्चा

व्यङ्कटेश्वर विश्वविद्यालय में महाकवि डॉ. Madhu चतुर्वेदीविरचित महाकाव्य – ‘देवयानी’ का लोकार्पण पूर्वाध्यक्ष, सङ्घ लोक सेवा आयोग, निवर्तमान आचार्य, बरेली कॉलेज, बरेली और वर्तमान चेयरमैन, एनटीए प्रोफ़ेसर प्रदीप जोशी, बिड़ला फ़ॉउण्डेशन के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर सुरेश ऋतुपर्ण, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के उपक्रम रज़ा संग्रहालय और पुस्तकालय, रामपुर के निदेशक प्रो. पुष्कर मिश्रा और व्यङ्कटेश्वर विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति डॉ.राजीव त्यागी ने किया। इस अवसर पर व्यङ्कटेश्वर समूह के संस्थापक अध्यक्ष श्री सुधीर गिरि की सङ्कल्पना को साकार करते हुए सांस्कृतिक संस्था मधुरम् के सहयोग से देश-विदेश के विविध विधा-विशेषज्ञों को व्यङ्कटेश्वर सृजनश्री सम्मान २०२४ से सम्मानित किया गया। धन्यवादज्ञापन अखिल भारतीय साहित्य परिषद के यतीन्द्र कटारिया और सञ्चालन प्रोफ़ेसर राहुल अवस्थी ने किया।

समारोह के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर जोशी ने कहा कि भविष्य के सशक्तीकरण हेतु नयी पीढ़ी को सांस्कृतिक विरासत सौंपने के लिये साहित्य सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। ‘देवयानी’ के प्रणयन ने पौराणिक इतिहास से भविष्य हेतु सतर्कता दी है। प्रोफ़ेसर पुष्कर मिश्र ने आयोजन में अपनी बीज-वक्तृता के अनन्तर कहा कि राष्ट्रधर्म, समाज सेवा और पारिवारिक दायित्वों में सामंजस्य को विशेष तौर पर रेखांकित करती हुई ‘देवयानी’ जैसी कृतियों का सृजन सदैव प्रासङ्गिक रहा है और रहेगा। प्रोफ़ेसर सुरेश ऋतुपर्ण ने देवयानी की गाथा प्रस्तुत करते हुए उसे मिथकों के कलेवर से सार्वकालिक सन्दर्भों की किरणें निःसृत करने वाला कहा। डॉ. राजीव त्यागी ने कहा कि डॉ. मधु चतुर्वेदी ने साहित्यिक परम्परा की एक ऋषिका की भूमिका हमारे समय और समाज को दी है। उन्होंने सृजनशीला स्त्री-परम्परा की कीर्तिमानित कृति को सुनहरी स्याही से सृजित किया है।

डॉ. Giridhar Rai (कोलकाता) के सान्निध्य, अशोक मैत्रेय की अध्यक्षता और Abhinav अभिन्न के सञ्चालन में, समारोह के द्वितीय सत्र में प्रवासी साहित्यकार और नेहरू सेण्टर लन्दन की पूर्व प्रमुख सुश्री Divya Mathur एञ्ज ली डोहर्टी (वेल्स, विधिवेत्ता बौद्धिक सम्पदा), ज्ञान प्रकाश आकुल (गीतकार) प्रोफ़ेसर Sarvesh Tripathi (आय एम लखनऊ), सुश्री सोनी Sugandha (कवयित्री, टाटानगर, झारखण्ड), डॉ. मनोज आर्य (हिन्दी ग़ज़लकार), श्री Arvind Agnihotri Pathik (लेखक, दिल्ली), पण्डित शिवदर्शन दुबे (ध्रुपद गायक, जयपुर), श्री रवि यादव (फ़िल्मकार), डॉ. हितु मिश्रा (गायिका) Ratnes रत्न (युवा गीतकार), अमन शशांक (युवाकवि) Pushkar Yadav (ग्राफिक्स डिजायनर) तनु ब्रह्मभट्ट (स्थपति, आर्किटेक्ट) समाजसेवी ज्ञानी जितेन्द्र सिंह सहित विभिन्न विधाओं के १५१ विशेषज्ञों का सम्मान किया गया। सम्मानकर्ता रहे – प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी, अधिवक्ता और कवि मधुसूदन चतुर्वेदी और राजनेता शिक्षाविद डॉ. मधुमुकुल चतुर्वेदी (सवाई माधोपुर); धन्यवादज्ञापन डॉ. Rajeev Tyagi (प्रतिकुलाधिपति, व्यङ्कटेश्वर विश्वविद्यालय) ने किया।

इस अवसर पर मध्यांचल महोत्सव का पोस्टर भी रिलीज किया गया, जो १४-१६ फ़रवरी २०२५ में ग्वालियर, मध्यप्रदेश में आयोजित होने जा रहा है। संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश और साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश द्वारा सम्पोषित इस आयोजन की आयोजिका संस्था योमीना फ़ॉउण्डेशन के निदेशक ने इस अवसर पर प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी को स्रष्टा सम्मान से सम्मानित किया और श्री सुधीर गिरि के प्रति द्रष्टा सम्मान निवेदित किया। कुलपति प्रोफ़ेसर कृष्णकान्त दवे को शिक्षाश्री और कुलसचिव डॉ. पीयूष पाण्डेय को प्रबन्धश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। खचाखच भरे सभागार में समारोह के अनन्तर अनेक गण्यमान्यों और डॉ. मधु चतुर्वेदी के परिजनों की उपस्थिति रही। ■

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