नई दिल्ली। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डाक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मुकदमे को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। इस केस को पश्चिम बंगाल से बाहर हस्तानांतरित करने के लिए एक वकील की ओर से अर्जी डाली गई थी।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि पश्चिम बंगाल के लोगों का प्रदेश की पुलिस और वहां की न्यायपालिका से भरोसा उठ रहा है। इसके लिए याचिकाकर्ता ने मणिपुर के मामले का हवाला भी दिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्थानांतरित कर दिया था। याचिका को रद्द करते हुए मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि हां, हमने मणिपुर हिंसा मामले में मुकदमे को राज्य से बाहर स्थानांतरित कर दिया है लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है।
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट बेंच ने याचिकाकर्ता का अनुरोध ठुकरा दिया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में आज स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा पर प्रोटोकॉल बनाने के लिए गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स की रिपोर्ट को सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा करने को कहा है ताकि वो अपना इनपुट दे सकें। इसके लिए शीर्ष अदालत ने तीन सप्ताह का समय दिया है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, काउंसिल में शामिल सभी लोग रिपोर्ट को बेहतर बनाने और सिफारिशों को मजबूत करने के तरीकों पर भी सुझाव दे सकते हैं। हमें बताएं कि किस तरह का निगरानी तंत्र तैयार किया जा सकता है।
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इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने केस से जुड़ी सीबीआई जांच की अब तक की जांच रिपोर्ट भी देखी। अदालत ने सीबीआई से चार सप्ताह बाद नई रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा क्यों कि इस मामले की जांच चल रही है इसलिए हम अभी इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, केस की अगली सुनवाई अब 11 नवम्बर को होगी।
