समीक्षक संजय एम तराणेकर की क़लम से :-
शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित काव्यगोष्ठी के बारे में समीक्षक संजय एम तराणेकर ने बताया डाॅ. मनीष दवे, शिक्षाविद के संचालन, श्रीमती जिया हिंदवाल के मुख्य आतिथ्य, श्रीमती अरुणा सिंह बिजनौर की अध्यक्षता, श्री रमेश माहेश्वरी, बिजनौर व बच्चूलालजी दीक्षित के संयोजकत्व तथा प्रो.रामपंचभाई के निर्देशन में “मंथन साहित्यिक परिवार” द्वारा आयोजित ऑनलाइन काव्यगोष्ठी सम्पन्न हुई।
डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाने के उपलक्ष्य में मूर्धन्य कवि और कवयित्रियों ने शिक्षक दिवस पर प्रकाश डालते हुए अपनी रुचि अनुसार काव्यपाठ किया, यथा विशिष्ट अतिथि रमेश माहेश्वरी ने एक उलझी सी पहेली हो गई है जिंदगी, एक बिछुडी़ सी सहेली हो गई है जिंदगी, मुख्य अतिथि जिया हिंदवाल ने किताब की महिमा पर “हैं जग के लिए ये दर्पण किताबें” के बोल के साथ रचना प्रस्तुत की। श्रीमती अरुणा सिंह ने अध्यक्षीय उदबोधन के साथ गुरु की गरिमा को नमन करते हुए रचना “रिश्तों की माला पिरोई थी, हरेक मोती रंग बिरंगा था”। राम पंचभाई ने “मेरी बिटिया आंगन खुशियों का, प्रवेश द्वार पर हुलसी स्वागत करती ऋषियों का”। संजय एम तराणेकर, इंदौर मध्यप्रदेश ने “सबसे पहले शिक्षक है माता-पिता, जिनसे ऊँगली पकड़ चलना सीखा।” की प्रस्तुति दी।
इसके साथ ही सर्वश्री सुप्रसिद्ध साहित्यकार टी. महादेव राव, विशाखापटनम, राजकिशोर बाजपेई, ग्वालियर,मध्यप्रदेश गिरीश पाण्डेय, काशी, इंजी.एन.सी.खण्डेलवाल, हरियाणा, आशीष त्रिपाठी, मुंबई, रेखा राठौर, सुसनेर, मध्यप्रदेश ,आशा झा, छत्तीसगढ़, प्रतिभा पाण्डेय, चेन्नई, प्रतिभा पुरोहित, अहमदावाद, गीता उनियाल, उत्तराखंड, महेश गुप्ता, बडवानी, मध्यप्रदेश, सुभाषचंद्र शर्मा व डाॅ शिवदत्त शर्मा जयपुर, डाॅ. कृष्णा जोशी एवं डाॅ.मनीष दवे, इंदौर मध्यप्रदेश ने काव्य पाठ कर अपनी प्रस्तुतियां दीं।
सभी कवियों की रचनाओं पर उत्कृष्ट भाषा शैली के साथ शब्दों के संयोजन की प्रशंसा करते हुए अलग-अलग प्रतिष्ठित कवियों द्वारा समीक्षा भी की गई। आभार प्रो. राम पंचभाई यवतमाल ने माना।