अभिषेक बनर्जी के पोस्ट पर आरजी कर के अधीक्षक ने दी कड़ी प्रतिक्रिया, कहा : इलाज के बिना मरीज की मौत के आरोप झूठे हैं

आर.जी. कर के अधीक्षक सप्तर्षि एवं अभिषेक बनर्जी

कोलकाता, 07 सितंबर । आर.जी. कर मेडिकल में इलाज के बिना मरीज की मौत का आरोप गलत है। शनिवार को आर.जी. कर के अधीक्षक सप्तर्षि चटर्जी ने तृणमूल महासचिव अभिषेक बनर्जी द्वारा किए गए एक सोशल मीडिया पोस्ट पर ये जवाब दिया है।

दरअसल तृणमूल महासचिव अभिषेक बनर्जी ने शनिवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि आर.जी. कर अस्पताल में इलाज न मिलने के कारण कोन्नगर के एक युवक की मौत हो गई। उन्होंने दावा किया कि यह मौत जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन के कारण हुई है। उन्होंने यह भी लिखा कि यदि किसी की मृत्यु लापरवाही के कारण होती है, तो वह लापरवाही हत्या के समान मानी जाएगी।

इस पर जवाब देते हुए सप्तर्षि चटर्जी ने कहा कि अस्पताल में भर्ती होने से लेकर मौत के बीच करीब तीन घंटे तक मरीज को अस्पताल में रहने के दौरान जो चिकित्सा दी गई उसका सारा रिकॉर्ड उनके पास है। उन्होंने आम जनता को यह भी आश्वासन दिया कि अगर कोई भी मरीज आर.जी. कर अस्पताल आएगा तो वह बिना इलाज के नहीं लौटेगा।

सप्तर्षि चटर्जी ने कहा कि मेरे पास जो जानकारी है उसके मुताबिक, मरीज को सुबह 8:40 बजे यहां भर्ती कराया गया था। उसे दूसरे अस्पताल से यहां रेफर किया गया था। वह पॉलीट्रॉमा का मरीज था। हमारे हड्डी रोग विशेषज्ञों और ट्रॉमा केयर टीम के वरिष्ठ डॉक्टरों ने तुरंत उनका इलाज करना शुरू कर दिया। उनका डिजिटल एक्स-रे कराया गया। नियमानुसार जो इलाज मिलना चाहिए वह दिया गया है। उनके सिर पर चोट लगी थी। इसके बाद सीटी स्कैन कराते वक्त उनके दिमाग में दिक्कत होने लगी। करीब तीन घंटे तक अस्पताल में उनका पूरा इलाज हुआ। दोपहर करीब साढ़े 12 बजे मरीज की मौत हो गई। यह पूरी तरह से गलत खबर है कि मरीज की इलाज के बिना मौत हो गयी। मेरे पास उनके इलाज का पूरा रिकॉर्ड है। चूंकि यह पुलिस केस है, इसलिए मौत का कारण पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा।

उन्होंने कहा कि अगर कोई सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत आवेदन करता है तो हमें आपत्ति नहीं है। हमारे पास मरीज के भर्ती होने से लेकर मृत्यु तक का पूरा मेडिकल रिकॉर्ड है। न केवल वरिष्ठ डॉक्टर बल्कि अस्पताल के सभी संबंधित विभाग मरीजों को सेवाएं प्रदान करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। ऐसा कभी नहीं होगा कि कोई मरीज आरजी लेकर आए और उसे इलाज न मिले।

 

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