दो अस्पतालों के विरुद्ध इलाज में लापरवाही के लिए पश्चिम बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमिशन के द्वारा जुर्माना देने का आदेश

 

रानीगंज/युवा समाजसेवी गौरव केड़िया अपनी स्वर्गीय पत्नी रमी केडिया की मृत्यु का इंसाफ के लिए पिछले आठ महीना से लगातार पश्चिम बंगाल चीफ स्वास्थ्य विभाग , दुर्गापुर न्यायालय एवं पश्चिम बंगाल राज्य नियामक आयोग कार्यालय में चक्कर लगा रहे हैं। इस मिशन में उन्हें बहुत बड़ी सफलता मिली है। गौरव केड़िया ने बतलाया कि उनकी पत्नी रमी केडिया की डिलीवरी के लिए 1 सितंबर 2023 को दुर्गापुर मिशन हॉस्पिटल ले जाया गया जहां प्राथमिक उपचार के 3 घंटे बाद बाद उनसे कहा गया कि प्रसव के दौरान जो नवजात शिशुओं के लिए विभाग में बेड की जरूरत होती है वह खाली नहीं है इसलिए इस अस्पताल में डिलीवरी नहीं हो सकती आप यहां से मरीज को लेकर चले जाइए। गौरव ने बताया कि उसकी पत्नी तड़पती रही। उसके बाद मरीज को हेल्थ वर्ल्ड अस्पताल ले जाया गया वहां भी 2 घंटे बाद इलाज शुरू किया गया अस्पताल प्रबंधन को इतना अनुरोध करने पर भी उनके अंदर मान्वता देखने को नहीं मिली वहां के चिकित्सकों ने अल्ट्रासाउंड प्रशिक्षण के बाद सर्जरी की इसके पश्चात रमी केडिया की मौत हो गई। गौरव केड़िया ने इलाज में लापरवाही का इल्जाम मिशन हॉस्पिटल एवं हेल्थ वर्ल्ड हॉस्पिटल के विरुद्ध के लिए आवेदन दुर्गापुर कोर्ट में एवं स्वास्थ्य विभाग में किया। कई हीयरिंग के पश्चात पश्चिम बंगाल चीफ मेडिकल ऑफिसर ऑफ़ हेल्थ एवं पश्चिम बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमिशन के द्वारा निर्णय दिया गया कि दोनों अस्पतालों के द्वारा लापरवाही की गई है। 10 लाख रुपए का जुर्माना मिशन अस्पताल को अदा करना होगा एवं हेल्थ वर्ल्ड को पांच लाख रुपए जुर्माना देना होगा। दोनों विभागों के द्वारा प्रमाणित किया गया कि मरीज के मौत के जिम्मेदार दोनों अस्पताल दोषी है। गौरव केडिया ने बतलाया कि जब तक पत्नी की मौत के जिम्मेदार को सजा ना दिलवा दूं चैन से नहीं बैठूंगा दुर्गापुर न्यायालय में मुकदमा चल रहा है इंतजार है मुझे एवं पूरा भरोसा न्यायालय के ऊपर में है। अगर जरूरत पड़े तो सुप्रीम कोर्ट तक न्याय के लिए जाऊंगा। वहीं सुरक्षा सोशल समिति एवं मानव अधिकार आयोग भी सत्य के साथ है एवं इलाज में लापरवाही करने वाले अस्पतालों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग लगातार राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार से करते रहेंगे। इस घटना की शिकायत दिल्ली मानव अधिकार आयोग पदम श्री राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त सरदार जितेंद्र सिंह संटी से की गई है।

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