मतदान में भागीदारी के महत्व पर संगोष्ठी का आयोजन

कोलकाता : अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन एवं राजस्थान परिषद व पारीक सभा के संयुक्त तत्वाधान में ‘मतदान में भागीदारी का महत्व’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन बड़ाबाजार के पारीक भवन में राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार लोहिया की अध्यक्षता में संपन्न हुई।

प्रसिद्ध शिक्षाविद दुर्गा व्यास ने अपना वक्तव्य रखते हुए कहा अगर हम मतदान नहीं करते हैं तो हमें हक़ नहीं कि हम सरकार की कमियों को गिनाएं। जब हम किसी प्रतिनिधि को चुनने जाएँ तो हम यह देखें कि नेता कितना दृढ है, उसके चारित्र्य विशेषताओं पर दृष्टि डालें, उसका पता करें, उसमें नेतृत्व क्षमता है कि नहीं, उससे भविष्य में क्या आशाएं की जा सकती हैं। आज जब नैतिकता का पतन चरम पर है, उसके नैतिक आचरण को देखकर ही हम उसे वोट करें। हमें यह भी देखना चाहिए कि कौन सी विचारधारा, कौन सा नेतृत्व देश को आगे ले जाने में सक्षम है, उसे वोट करें। आस-पास में जिसका वोटर लिस्ट में नाम न जुड़ा हो कोई परेशानी आ रही हो तो उसका सहयोग कर हम लोकतंत्र को मजबूती देने का कार्य कर सकते हैं।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि आज नेता शब्द बहुत भ्रामक हो गया है, जबकि नेता शब्द नेत्र से बना है। समाज में अच्छा या बुरा जो भी हो रहा होता है, सबसे पहले नेता को संवेदित करता है और नेता उसका अंकन करता है। हमें वोट देने के पहले यह चिंतन कर लेना चाहिए कि हम जिसको चुनने जा रहे हैं उसके ओजस्विता, चारित्र्य, नेतृत्व, चिंतन का आंकलन कर ही वोट दें। उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि लोग 17 वोट देकर गर्व भाव से कहते थे कि मैंने 17 वोट डाले। पहले से स्थितियाँ बदली हैं, पर अभी और भी बदलने की जरूरत है। उन्होंने कवि चंद्रदेव सिंह की चुनाव पर लिखी कविता सुनाकर बताया कि किस तरह प्रांतीय भाषाएँ चुनाव को आंदोलित करती रही हैं। हम यहाँ लंबी तकरीर तो करें पर वोट न दें ऐसा नहीं होना चाहिए।

राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार लोहिया ने कहा कि सम्मेलन की स्थापना के मूल में अग्रेजों द्वारा बनाए जा रहे प्रवासी को मतदान से वंचित कर देने वाले कानून के विरोध में हुआ था। यह काला कानून सम्मेलन के प्रयास से 1935 में बनने से रुक गया। पश्चिम बंगाल और देश के अन्य भागों में 1977 तक विधायक या सांसद के रूप मे समाज का प्रतिनिधित्व रहता था, किंतु बाद के दिनों में इसमें उत्तरोत्तर ह्रास हुआ है। आज बंगाल में राज्य सभा की 16 सीटें हैं उसमें अपने समाज का छोड़ दीजिए कोई एक भी हिंदी भाषी समाज का नहीं है। इस बारे में समाज को सोचना होगा। देखने में आता है कि हिंदी पट्टी इलाकों में वोट का प्रतिशत कम रहता है। गणतंत्र की विफलता का मुख्य कारण सजगता की कमी है। जब हम वोट के प्रति उदासीन होंगे तो हमारी बात में मजबूती नहीं होगी। मतदान के प्रति नए युवकों की उदासीनता के कारण को हमें समझने की आवश्यकता है।अंत में उन्होंने कहा कि मतदान के प्रति हम खुद सजग हों और साथ में अपने आस-पास के लोगों को भी प्रोत्साहित करें। कोई समस्या हो तो चुनाव आयोग के CVIGIL एप्प का व्यवहार कर शिकायत दर्ज करवाएं।


सम्मेलन के राजनीतिक चेतना उपसमिति के चेयरमैन नंदलाल सिंघानिया ने कार्यक्रम के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि जागृति एवं वोट देने हेतु जागरूकता के लिए हम कार्यक्रम करते रहे हैं और कर रहे हैं। देश में वोट देने में जागरूकता तो आई है और भी जागरूकता की जरूरत है, जिसे हमें और आपको मिलकर करना है। उन्होंने लोगों से कहा कि यदि आपको कहा जाए कि आपका नाम वोट लिस्ट में नहीं है तो आप उसका विरोध करे वहां टेंडर वोटिंग की सुविधा होती है और आपका वोट लिया जाएगा।
सर्वप्रथम सम्मेलन के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाशपति तोदी ने सम्मेलन से संचालित स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार एवं व्यापार प्रकल्पों एवं साथ में सम्मेलन की संक्षिप्त जानकारी उपस्थित लोगों को दी। कार्यक्रम का सफल संचालन श्री तोदी द्वारा किया गया।
संगोष्ठी के प्रमुख वक्ता डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी एवं श्रीमती दुर्गा व्यास का दुपट्टा व शाल भेंट कर सम्मान किया गया। साथ में माहेश्वरी सभा के अध्यक्ष बुलाकी दास मीमाणी का दुपट्टा भेंटकर सम्मान किया गया।
राजनीतिक चेतना उपसमिति के संयोजक पवन कुमार बंसल एवं पारीक सभा, राजस्थान परिषद की ओर से धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री पवन कुमार जालान, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष केदार नाथ गुप्ता, अरुण प्रकाश मल्लावत, पीयूष केयाल, सज्जन बेरिवाल, सुशील कुमार चौधरी, ज्योति पारीक, साक्षी जोशी, विष्णु पारीक, बाबूलाल पारीक, मदनलाल जोशी, अशोक पुरोहित, ओम प्रकाश जोदट, राम रतन अग्रवाल, नथमल पारीक, प्रभुदयाल पारीक, राजाराम बिहानी, सत्यनारायण तिवाड़ी, राजेश नागोरी, नन्द कुमार लढा, पवन कुमार पारीक, कृष्ण कुमार शर्मा, कपिल जोशी, रोहित व्यास, सुरेश कुमार बांगाणी, गोपाल बंका, भागीरथ सारस्वत, श्रीमोहन तिवारी, अभिजीत सिंह, विजय पारीक, विवेक तिवारी, सांवरमल पारीक, गोपाल कृष्ण बोहरा, गोपाल शर्मा, राजेश कुमार जायसवाल उपस्थित थे।

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