व्यास जी के तहखाने में पूजा शुरू होने के बाद मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

वाराणसी: वाराणसी जिला अदालत द्वारा हिंदू समुदाय को ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा का अधिकार दिये जाने के बाद तहखाने में पूजा पाठ शुरू हो गया है। लेकिन ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वाराणसी जिला न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया है।

मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत के इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति देने के वाराणसी की ज़िला अदालत के फ़ैसले पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे इलाहाबाद हाईकोर्ट से संपर्क कर सकते हैं। मुस्लिम पक्ष ने इसके बाद ईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार गुप्ता के समक्ष इस मामले का उल्लेख वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने किया। इस मामले को लेकर रजिस्ट्रार लिस्टिंग के समक्ष एक आवेदन दायर किया गया है। जल्द ही इस मामले पर कार्रवाई होने की संभावना है।

बता दें कि 31 जनवरी की रात करीब साढ़े 10 बजे 31 साल बाद व्यास जी का तहखाना पूजा-पाठ के लिये खोला गया और उसकी साफ-सफाई करायी गयी। इसके बाद पूजा हुई। जिला प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक, व्यास जी के तहखाने में जिला अदालत से पूजा-पाठ की अनुमति मिलने के बाद बुधवार की देर रात मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी एस. राजलिंगम और पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन ज्ञानवापी परिसर पहुंचे।

वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार, 31 जनवरी को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दे दिया था। पूजा पाठ के दौरान ज्ञानवापी और आसपास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पुलिस बल तैनात रहा। इस सवाल पर कि आज तहखाने के अंदर क्या हुआ, जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मैंने अदालत का जो आदेश है उसका अनुपालन किया है।

हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव के मुताबिक, जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है। उन्होंने दावा किया कि इस तहखाने में वर्ष 1993 तक पूजा-अर्चना होती थी मगर उसी साल तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने इसे बंद करा दिया था।

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