
शिव महापुराण कथाः सद्गुरूनाथ जी महाराज ने बताया भाग्य और कर्म में अंतर
परम श्रद्धेय दिव्यदर्शी कथावाचक सतीश सद्गुरूनाथ जी महाराज द्वारा श्रावण मास के पवित्र महीने में श्रावणी शिव महापुराण कथा का आयोजन जयपुर (राजस्थान) में श्री गोविंद जी में किया जा रहा है। दूर-दराज के लोगों की भीड़ लगातार कथा स्थल पर पहुंच रही है। लोगों का उत्साह उस समय चरम पर पहुंच जाता है जब भविष्यवक्ता, परम शिवभक्त सद्गुरूनाथ जी महाराज कथा स्थल में पहुंचते हैं हर कोई व्यक्ति उनकी तरफ श्रद्धा के भाव से देखता रहता है हर व्यक्ति उनसे मिलने को व्याकुल रहता है। सद्गुरूनाथ जी महाराज भी अपना कीमती वक्त निकालकर लोगों की व्यथा जरूर सुनते हैं और हर संभव उनकी मदद करते हैं।
कथा के पांचवे दिन सद्गुरूनाथ जी महाराज ने बताया कि भाग्य और कर्म में ये अंतर होता है। उन्होने कहा कि आपका जीवन 3 मूल चीजों पर टिका हुआ है। आपका वर्तमान, आपका भविष्य और आपका भूतकाल। ये तीन की संख्या काफी महत्वपूर्ण ये तीनों मिलकर आपके भाग्य का निर्माण करती हैं।

आपके भूतकाल जिसने निर्माण किया आपके वर्तमान को और आपका वर्तमान जो निर्माण करेगा भविष्य को। जितना अच्छा या बुरा किया है वो घूमकर आपके पास जरूर आता है। भगवान के प्रति अपना भाव बिल्कुल स्पष्ट रखें जैसी आप भगवान के प्रति श्रद्धा रखेंगे वैसे ही सुख-समृद्धि आपके जीवन में आती रहेगी। अगर भोलेनाथ की प्रति श्रद्धा रखेंगे तो कर्म के फल आपको जरूर मिलेंगे। अगर जीवन में प्रारब्ध आपका काम करें तो जीवन में शत-प्रतिशत उन्नति हो ही जाती है।
ज्ञात हो कि सद्गुरूनाथ जी महाराज द्वारा संपूर्ण भारतवर्ष में शिव महापुराण कथा द्वारा लोगों एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। अनेक जगह इनके शिव महापुराण कथा हुए हैं जहां लोगों ने अपार प्रेम सद्गुरूनाथ जी को दिया है। आज देश के प्रत्येक प्रांत के लोग सोशल मीडिया साईट हो या फिर धार्मिक चैनल सद्गुरूनाथ जी महाराज को अवश्य देखते एवं सुनते हैं।

सद्गुरूनाथ जी महाराज ने कहा कि संसार में मनुष्य शिव महापुराण की कथा के सत्संग में बैठ जाता है तो उसकी कीमत बढ़ जाती है। जैसे पारिजात, कनेर, शमी, मंदार, धतुरा आदि पुष्प सब सस्ते हैं इनकी कीमत ज्यादा नहीं है किंतु जब यह पुष्प महादेव को अर्पित हो जाते हैं तो वह सभी अनमोल बन जाते हैं।
