मानव शरीर ज्ञान और भक्ति प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ साधन है –माधव जी महाराज

 

राम भरोसा धाम में श्रीमद् भागवत कथा का फुल की होली,हवन यज्ञ व भण्डारा के साथ समापन

चिरकुंडा।चिरकुंडा-पंचेत रोड के तीन नं चढ़ाई स्थित राम भरोसा धाम सार्वजनिक मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा एवं स्थापना की प्रथम वर्षगांठ पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम दिवस पर रविवार को फुल की होली,हवन कुंडिय यज्ञ व विशाल भण्डारा के साथ समापन हो गया।अंतिम दिन बच्चों द्वारा कृष्ण,राधा व सुदामा की झांकी प्रस्तुत किया गया।
वृन्दावन से आए कथावाचक माधव महाराज ने अंतिम दिन प्रवचन करते हुए कहा कि”सभी कामनाओं का त्याग तप है।काम सुख का विचार तक ना रखने वाला सबसे बड़ा तपस्वी है। वासना और स्वभाव को जीतने वाला शौर्य है।ब्रह्म को विचार करना श्रेष्ठ सत्य है और “धर्म ही सर्वोत्तम धन है।
श्री कृष्ण कहते हैं मेरी भक्ति प्राप्त करना ही सर्वोत्तम लाभ है। बंधन और मोक्ष के तत्व का ज्ञाता ही पंडित है और ग्रंथों में लिखे हुए सिद्धांतों को जीवन में उतारकर भक्तिमय में जीवन जीने वाला उत्तम ज्ञानी है। मनुष्य शरीर ज्ञान और भक्ति प्राप्त करने का श्रेष्ठ साधन है। यह मनुष्य शरीर उत्तम नौका के समान है,सभी फलों का मूल है,करोड़ों उपाय से भी अल्भय है, फिर भी दैव योग से मिल पाया है।फिर भी यदि इस अमूल्य देह नौका का सदुपयोग ना कर ,भवसागर पार करने का प्रयास ना करें,तो मनुष्य स्वयं अपना ही नाश करता है, आत्मघाती है।”
इस अवसर पर राम भरोसा धाम मंदिर के प्रधान पुजारी राम रतन पांडे,आचार्य अविनाश पांडे, एकानन्द पांडे,मनोज कुमार पांडे,सत्येंद्र पांडे,पुरुषोत्तम पांडे, शशि भूषण पांडे तथा चिरकुंडा के भक्तगण उपस्थित थे।

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